उम्मीदवारों के ऐलान के बाद दिल्ली कांग्रेस के सभी उम्मीदवार पहली बार पार्टी दफ्तर आए, क्या चर्चा हुई, किन मुद्दों के साथ कांग्रेस इस चुनाव में है? इस सवाल के जवाब में रागिनी नायक ने कहा कि कई मुद्दों पर बातचीत हुई है। इसी के साथ-साथ जो संगठनात्मक रूप से दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी हर विधानसभा में मदद कर सकती है, उसके ऊपर चर्चा हुई। आगे क्या और हम किस तरीके से मजबूत चुनाव लड़ सकते हैं, किस तरीके से आगे बढ़ सकते हैं, हर उम्मीदवार से सुझाव मांगे गए। मुझे लगता है कि हर विधानसभा का समीकरण अलग अलग है, वह कैंडिडेट के डिक्लेरेशन के बाद भी कुछ समीकरण बदले हैं, उन पर भी चर्चा हुई। सबसे महत्वपूर्ण बात जो ज्यादातर लोगों के राय रखने के बाद उभरकर आई वह यह है कि हवा का रुख बदल रहा है, ऊंट करवट ले चुका है और बदलाव का वक्त सामने दिख रहा है।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि भाजपा और आम आदमी पार्टी के कारण दिल्ली की जनता पिछले दस साल से पीस रही है। दिल्ली की जनता बहुत परेशान है, समस्याओं के हल नहीं निकल रहे हैं। बार-बार गेंद एक पाले से दूसरे पाले में फेंकने की कोशिश की जाती है।
उन्होंने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी ने सबसे ज्यादा आम आदमी के नाम का दुरुपयोग सियासत के लिए और अपने राजनीतिक स्वास्थ्य सिद्धि के लिए किया है। सफाई कर्मचारियों को देने के लिए पैसा नहीं होता था, पर शीश महल में चार करोड़ के परदे लग गए। विधवा और वृद्धों की पेंशन रुक गई।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि अब 2100 रुपये का शिगूफा छोड़ा गया है। जब आपको 10 साल मिले तब आपने 2100 रुपए क्यों नहीं दिए? ये महिलाएं आज पूछ रही हैं। यहां राशन कार्ड बनने बंद हो गए। पेंशन मिलनी बंद हो गई। जो 1100 रुपये का वादा पहले किया था, वह भी महिलाओं को नहीं मिल रहा है। इसी के साथ-साथ दिल्ली महिलाओं के लिए भयानक रूप से असुरक्षित होती जा रही है। मेट्रो सिटी में सबसे ज्यादा महिलाओं के खिलाफ अपराध दिल्ली में हो रहे हैं। ये सब केजरीवाल से पूछेंगे तो वो अमित शाह की तरफ कर देंगे, और अमित शाह से पूछेंगे तो वो वापस केजरीवाल की तरफ कर देंगे।
रागिनी नायक ने एक सवाल के जवाब में कहा कि जब चुनावी मेंढक टर्राते हैं, तो उनसे पूछना चाहिए को आप पिछले पांच साल से क्या कर रहे थे और उससे पिछले 5 साल क्या कर रहे थे? जब चुनाव है तो उनको नई योजनाएं याद आ रही हैं, बड़ी तकनीकी चीजों की बात कर रही हैं। जिस तरीके से सरकार आम आदमी पार्टी ने चलाई है, अब उसी से यह निर्धारित करना पड़ेगा कि आगे की 5 साल कैसे चलाने वाले हैं। वही बात भारतीय जनता पार्टी के लिए भी लागू होती है। दिल्ली में आज उनको इतने बड़े चेहरे क्यों उतारते पड़ रहे हैं। अगर आपके प्रदेश की ओर संगठन के लोग अच्छे से काम कर रहे होते हैं और आपके सांसद काम कर रहे थे, निगम के पार्षद काम कर रहे थे तो फिर आपको इतनी ताकत चुनाव के लिए क्यों लगानी पड़ रही है।