राजस्थान : मंत्री मदन दिलावर ने राज्य की बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियों का लिया जायजा

अजमेर, 19 दिसंबर ( आईएएनएस): । राजस्थान के शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने गुरुवार को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं से पहले आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता के बाद राज्य के मौजूदा शैक्षणिक परिदृश्य पर अपनी बात रखी।

राजस्थान : मंत्री मदन दिलावर ने राज्य की बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियों का लिया जायजा
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मंत्री ने समीक्षा के बाद संवाददाताओं से कहा, “इस बैठक का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि परीक्षा के दौरान कोई भी परेशानी या दिक्कत न हो। सरकार इन बैठकों के जरिए परीक्षा प्रक्रिया की समीक्षा करती है और किसी भी प्रकार की समस्या के समाधान के लिए पहले से ही तैयारी करती है। अगर कोई समस्या या प्रकरण सामने आता है, तो उसका समाधान तत्परता से किया जाता है। इस प्रकार की बैठकें परीक्षा के सुचारू संचालन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “इस बैठक में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान की प्रतिष्ठा की सराहना की गई और इसकी सफलता के लिए अधिकारियों को बधाई दी गई। मैंने अधिकारियों से यह आग्रह किया कि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की प्रतिष्ठा को बनाए रखा जाए।"

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बैठक में मंत्री ने प्रैक्टिकल परीक्षाओं के संचालन में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि प्रैक्टिकल परीक्षा के लिए आने वाले बाहरी निरीक्षकों को बड़े होटलों में ठहराने और उनकी विशेष देखभाल जैसी परंपराओं को बंद करने का अधिकारियों से आग्रह किया गया है।

उन्होंने कहा, “यह भी कहा गया कि जो प्रैक्टिकल परीक्षाएं होती हैं, उनका मूल्यांकन सही तरीके से किया जाए और छात्रों को उनके प्रदर्शन के आधार पर अंक मिलें। अब तक जितनी भी रीड परीक्षाएं हुई हैं, उनमें किसी प्रकार की कोई बड़ी समस्या सामने नहीं आई है, और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों और कर्मचारियों ने इन्हें सफलतापूर्वक आयोजित किया है।”

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उन्होंने आगे कहा कि पहली बार राजस्थान में रीड परीक्षा के पात्रता मानदंड में कुछ बदलाव किए गए हैं। पहले यह था कि छात्रों को परीक्षा में बैठने के लिए बीएड या किसी अन्य संबंधित परीक्षा को पास करना जरूरी था। लेकिन अब, जो छात्र एसटीसी या बीएडी जैसी परीक्षाओं में दाखिला ले चुके हैं, वे भी परीक्षा में बैठने के योग्य माने जाएंगे, भले ही वे पहले साल में हों या सिर्फ एक महीना ही क्यों न हुआ हो। इस संशोधन का उद्देश्य छात्रों के समय को बचाना है ताकि वे जल्दी परीक्षा दे सकें और अपने भविष्य के लिए एक या दो साल बचा सकें। इस बदलाव के बाद, छात्रों को पहले की तुलना में अधिक अवसर मिलेंगे, जिससे उनका भविष्य उज्ज्वल हो सकेगा।”

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Courtesy Media Group: IANS

 

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