उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, "कृषि ग्रामीण विकास की रीढ़ है। जब तक कृषि का विकास नहीं होगा, ग्रामीण परिदृश्य को नहीं बदला जा सकता और जब तक ग्रामीण परिदृश्य नहीं बदलेगा, हम विकसित राष्ट्र बनने की आकांक्षा नहीं कर सकते।"
उन्होंने कहा, "2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए, हमारी आय में आठ गुना वृद्धि होनी चाहिए। यह एक कठिन चुनौती है। इस चुनौती का समाधान तभी हो सकता है, जब गांव की अर्थव्यवस्था बढ़ेगी। गांव की अर्थव्यवस्था तभी बढ़ सकती है, जब किसान और उनका परिवार मार्केटिंग, मूल्य संवर्धन और आत्मनिर्भर बनने के लिए क्लस्टर बनाने में शामिल हों।"
जगदीप धनखड़ ने कहा, "कोई भी व्यक्ति जो ग्रामीण भारत और किसानों के कल्याण को अपने दिल के करीब रखता है। चाहे वह कॉर्पोरेट क्षेत्र से हो, शिक्षा के क्षेत्र से हो या किसी अन्य क्षेत्र से, उसे इस तरह के ट्रस्ट को पोषित करने के लिए आगे आना चाहिए। चौधरी चरण सिंह जैसा नेता दुर्लभ है और लंबे समय तक हमें फिर से उनकी तरह का नेता नहीं मिलेगा।"
उन्होंने कहा, "इन पुरस्कारों को समय के साथ संरचित किया जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे आत्मनिर्भर हों। इसके अतिरिक्त, उन्हें वित्तीय रूप से मजबूत किया जाना चाहिए।"
उपराष्ट्रपति ने चौधरी चरण सिंह का जिक्र करते हुए कहा, "चौधरी चरण सिंह ने पारदर्शिता, जवाबदेही, ईमानदारी, ग्रामीण विकास के प्रति प्रतिबद्धता को समाहित किया और अपने विचारों को व्यक्त करने में वे हमेशा निडर रहे। वह राजनेता, दूरदर्शिता और समावेशी विकास के लिए जाने जाते हैं। उनके पास भारत के लिए एक ऐसा दृष्टिकोण था, जो हमारी सभ्यतागत लोकाचार के अनुरूप था। जब लोग इस व्यक्ति के महान योगदान का समुचित आकलन नहीं करते हैं, तो दुख होता है।"