सिक्किम चीन के साथ लगभग 200 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, क्योंकि यह उत्तर और पूर्वोत्तर में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से घिरा हुआ है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मुख्य सचिव ने हाल ही में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के साथ बैठक की, ताकि वर्तमान खतरे का आकलन किया जा सके और राज्य की तैयारियों की समीक्षा की जा सके।
अधिकारी ने कहा कि बैठक में वायरस के विभिन्न पहलुओं और इसके संक्रमण के तरीके के साथ-साथ इसके संक्रमण की चपेट में आने पर होने वाले लक्षणों पर बात की गई।
अधिकारी ने कहा, "स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है। लोगों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि उपलब्ध डेटा से पता चलता है कि वायरस भारत में कोई असामान्य प्रवृत्ति या गंभीर प्रकोप पैदा नहीं कर रहा है।"
उन्होंने कहा कि लोगों को सलाह दी जाती है कि वे निवारक उपायों का पालन करें और ऐसे किसी भी लक्षण का अनुभव होने पर निकटतम स्वास्थ्य पेशेवरों से परामर्श करें।
बता दें कि एचएमपीवी की पहली बार 2001 में नीदरलैंड में पहचान की गई थी और तब से दुनिया के लगभग सभी हिस्सों में इसका पता चला है। यह वायरस मुख्य रूप से श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बनता है, हालांकि कम इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए यह गंभीर हो सकता है।
एचएमपीवी संक्रमित व्यक्तियों के साथ खांसने, छींकने, हाथ मिलाने या दूषित सतहों से निकट संपर्क के माध्यम से फैलता है। इसके सामान्य लक्षणों में खांसी, नाक बहना, बुखार, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं।
अधिकारी ने कहा कि सरकार साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोने, खांसने और छींकने समय सावधानी बरतने के लिए जागरूकता अभियान चलाएगी।
अधिकारी ने कहा,इस बीच दूषित सतहों की नियमित सफाई और श्वसन संबंधी बीमारी के लक्षण दिखाने वाले व्यक्तियों के साथ निकट संपर्क से बचने की सलाह दी जाती है।''