मकर संक्रांति के इस पावन दिन संगम के घाटों पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। आस्था और उल्लास का ऐसा नजारा था जिसने हर किसी के मन को भावविभोर कर दिया। स्नान के दौरान हर कोई अपने जीवन को पवित्र और सुखमय बनाने की प्रार्थना करता दिखा। स्नान के दौरान श्रद्धालुओं ने सूर्य को अर्घ्य देकर पुण्य और मोक्ष की कामना की। मकर संक्रांति भगवान सूर्य को ही समर्पित पर्व है। मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं और दिन लंबे व रात छोटी होने लगती है। स्नान के दौरान ही कई श्रद्धालु गंगा आरती और श्रद्धालुओं ने घाट पर ही मकर संक्रांति का पूजन अर्चन किया और तिल खिचड़ी का दान कर पुण्य कमाया।
महाकुंभ भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक है। मकर संक्रांति के इस शुभ अवसर पर अमृत स्नान को जीवन में शुभता और सकारात्मकता लाने का माध्यम माना जाता है। संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर श्रद्धालु अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं और पुण्य के साथ मोक्ष की कामना करते हैं। महाकुंभ 2025 का यह अद्भुत दृश्य न केवल भारतीय संस्कृति की गरिमा को दर्शाता है, बल्कि विश्व भर में इसकी आध्यात्मिक छवि को भी मजबूत करता है। महाकुंभ के इस शुभ अवसर पर विभिन्न अखाड़ों के साधु-संतों के प्रवचनों और धार्मिक अनुष्ठानों में भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में भागीदार बन रहे हैं। संत संगम के महत्व और मकर संक्रांति के धार्मिक पक्ष को लेकर उन्हें जागरूक कर रहे हैं।
इस विशाल आयोजन को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की थी। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, भीड़ प्रबंधन और स्वच्छता अभियान ने महाकुम्भ को एक अनुकरणीय आयोजन बना दिया। मकर संक्रांति पर स्नान के लिए बड़ी संख्या में सुबह से ही लोग जुटने लगे। पवित्र स्नान के लिए देश के कोने-कोने से बुजुर्ग, महिलाएं और युवक पहुंचे। अपने सिर पर गठरी लादे श्रद्धालुओं का कारवां आगे बढ़ता रहा। चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान तैनात रहे।