शहजाद पूनावाला ने 'हिंडनबर्ग रिसर्च' कंपनी के बंद होने को लेकर किए गए सवाल के जवाब में कहा कि आज एक बात स्पष्ट हो चुकी है कि हिंडनबर्ग सुपारी लेकर देश की अर्थव्यवस्था के खिलाफ एक हिट जॉब कर रहा था। उसकी कोई विश्वसनीयता नहीं थी। अब हिंडनबर्ग पर ताला लग गया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर ध्यान दिया। हिंडनबर्ग के ऊपर जांच शुरू हुई क्योंकि उन्होंने अपनी जेब गरम करने के लिए भारत के निवेशकों का करोड़ों रुपये का नुकसान किया। उनके ऊपर यूनाइटेड स्टेट में भी डिपार्मेंट ऑफ जस्टिस की इंक्वारी चल रही थी।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट, उनके शब्दों को भगवान के शब्द राहुल गांधी मानते थे। आज राहुल गांधी और उनके इकोसिस्टम को ना केवल माफी मांगनी चाहिए, बल्कि उनको ये भी बताना चाहिए कि हिंडनबर्ग के साथ उनका ये रिश्ता क्या कहलाता है? क्या ये संयोग था, ये प्रयोग था या ये सोरोस का उपयोग था। हिंडनबर्ग से रिपोर्ट आती थी, देर रात कांग्रेस वाले इसी को उठाकर संसद को हाईजैक करते थे। भारत की अर्थव्यवस्था के खिलाफ आर्थिक अराजकता, आर्थिक आतंकवाद फैलाने का काम किया गया।
अब तो साफ है कि राहुल गांधी ने कल बता दिया है कि वो भाजपा के विरोध में नहीं है। उनकी टूल किट का सबसे बड़ा टूल हिंडनबर्ग अब इस गैंग से छूट चुका है। क्या राहुल गांधी अब देश से या देश के निवेशकों से माफी मांगेंगे। क्यों ऐसी साजिश कुछ विदेशी हाथों की ताकतों के साथ वो मिलकर भारत की अर्थव्यवस्था के खिलाफ रच रहे थे, उसका जवाब उनको देना चाहिए।
वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित मालवीय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "ट्रंप प्रशासन के सत्ता में आने के साथ ही हिंडनबर्ग रिसर्च के बंद होने का फैसला कोई आश्चर्य की बात नहीं है। अमेरिकी न्याय विभाग फर्म के संचालन की जांच करने की योजना बना रहा है, इसलिए यह विचार करना उचित है कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी ने हिंडनबर्ग की रिपोर्टों पर कैसे भरोसा किया। उन्होंने अक्सर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और संसदीय कार्यवाही को बाधित किया, इस संदिग्ध जॉर्ज सोरोस-वित्त पोषित संगठन के निष्कर्षों के आधार पर अपने कार्यों को अंजाम दिया।"
उन्होंने आगे कहा, "हिंडेनबर्ग और उनके प्रायोजकों ने भारतीय शेयर बाजार को निशाना बनाया, जिसमें खुदरा निवेशकों की भारी भागीदारी देखी गई, और कांग्रेस पार्टी उनके भयावह एजेंडे के अनुरूप काम कर रही थी।"