पीएम मोदी ने कहा कि आज हम एक ऐसे मोबिलिटी सिस्टम के निर्माण में जुटे हैं, जो इकोनॉमी और इकोलॉजी दोनों को सपोर्ट करे। एक ऐसा सिस्टम हो जो फॉसिल फ्यूल के हमारे इंपोर्ट बिल को कम करे। आज ग्रीन टेक्नोलॉजी, ईवी, हाइड्रोजन फ्यूल, बायो फ्यूल टेक्नोलॉजी के डेवलपमेंट पर हमारा काफी फोकस है। 'नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन' और 'ग्रीन हाइड्रोजन मिशन' जैसे अभियान इसी विजन के साथ शुरू किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि बीते कुछ सालों से इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को लेकर भारत में बहुत तेज ग्रोथ देखी जा रही है। बीते दशक में भारत में ईवी की बिक्री में 640 गुना की बढ़ोतरी हुई है। दस साल पहले जहां एक साल में सिर्फ 2,600 के आस-पास ईवी बिके थे, वर्ष 2024 में 16,80,000 से ज्यादा ईवी बिके हैं यानी दस साल पहले जितने इलेक्ट्रिक व्हीकल पूरे साल में बिकते थे और उससे भी दोगुने ईवी एक दिन में बिक रहे हैं। अनुमान है कि इस दशक के अंत तक भारत में ईवी की संख्या आठ गुना तक बढ़ सकती है। ये दिखाता है कि इस सेगमेंट में आपके लिए कितनी ज्यादा संभावनाएं बढ़ रही हैं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने आगे बताया कि भारत आज दुनिया की पांचवी बड़ी इकोनॉमी है। पैसेंजर व्हीकल मार्केट के रूप में देखें तो हम दुनिया में नंबर तीन पर हैं। आप कल्पना कीजिए कि जब भारत दुनिया की टॉप थ्री इकोनॉमी में शामिल होगा, तब हमारा ऑटो मार्केट कहां होगा। 'विकसित भारत' की यात्रा मोबिलिटी सेक्टर के भी अभूतपूर्व ट्रांसफॉर्मेशन के कई गुना विस्तार की यात्रा होने वाली है। भारत में मोबिलिटी के फ्यूचर को ड्राइव करने वाले कई फैक्टर्स हैं, जैसे भारत की सबसे बड़ी युवा आबादी, मिडिल क्लास का लगातार बढ़ता दायरा, तेजी से होता शहरीकरण, भारत में बन रहा आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, 'मेक इन इंडिया' से एफॉर्डेबल व्हीकल, ये सारे फैक्टर्स भारत में ऑटो सेक्टर के ग्रोथ को पुश करने वाले हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में ऑटो इंडस्ट्री की विकास की संभावनाओं में 'मेक इन इंडिया' की मजबूती का भी बड़ा रोल है। 'मेक इन इंडिया' अभियान को पीएलआई स्कीम से गति मिली है। इस स्कीम ने सवा दो लाख करोड़ से अधिक की सेल में मदद की है। इस स्कीम से ही इस सेक्टर में डेढ़ लाख से ज्यादा डायरेक्ट जॉब क्रिएट हुए हैं। आप अपने सेक्टर में तो जॉब क्रिएट करते ही हैं, इसका दूसरे सेक्टर्स में भी मल्टीप्लायर इफेक्ट होता है। बड़ी संख्या में ऑटो पार्ट्स हमारे एमएसएमई सेक्टर बनाते हैं, जो ऑटो सेक्टर को बढ़ाते हैं, तो एमएसएमई, लॉजिस्टिक्स, टूर और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में भी नई जॉब अपने आप बढ़ने लग जाती है। भारत सरकार ऑटो सेक्टर को हर लेवल पर सपोर्ट दे रही है। बीते एक दशक में, इस इंडस्ट्री में, एफडीआई, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और ग्लोबल पार्टनरशिप के नए रास्ते बनाए गए हैं। पिछले चार सालों में इस सेक्टर में 36 बिलियन डॉलर से ज्यादा का एफडीआई आया है। आने वाले सालों में ये कई गुना और बढ़ने वाला है। हमारा प्रयास है कि भारत में ऑटो मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ा पूरा इकोसिस्टम डेवलप हो।