प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' के 118वें एपिसोड में कहा, "मेरे प्यारे देशवासियों, प्रयागराज में महाकुंभ का श्रीगणेश हो चुका है। यह चिरस्मरणीय जन-सैलाब, अकल्पनीय दृश्य समता-समरसता का असाधारण संगम है। इस बार कुंभ में कई दिव्य योग भी बन रहे हैं। कुंभ का ये उत्सव विविधता में एकता का उत्सव मनाता है। संगम की रेती पर पूरे भारत के, पूरे विश्व के लोग जुटते हैं।
हजारों वर्षों से चली आ रही इस परंपरा में कहीं भी कोई भेदभाव और जातिवाद नहीं है। इसमें भारत के दक्षिण, पूर्व और पश्चिम से लोग आते हैं। कुंभ में गरीब-अमीर सब एक हो जाते हैं। सब लोग संगम में डुबकी लगाते हैं, एक साथ भंडारों में भोजन करते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं। तभी तो 'कुंभ' एकता का महाकुंभ है। कुंभ का आयोजन हमें ये भी बताता है कि कैसे हमारी परंपराएं पूरे भारत को एक सूत्र में बांधती हैं। उत्तर से दक्षिण तक मान्यताओं को मानने के तरीके एक जैसे ही हैं। एक तरफ प्रयागराज, उज्जैन, नासिक और हरिद्वार में कुंभ का आयोजन होता है, वैसे ही दक्षिण भू-भाग में गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा और कावेरी नदी के तटों पर पुष्करम होते हैं। ये दोनों ही पर्व हमारी पवित्र नदियों से, उनकी मान्यताओं से, जुड़े हुए हैं। इसी तरह कुंभकोणम से तिरुक्कड-यूर, कूड़-वासल से तिरुचेरई अनेक ऐसे मंदिर हैं, जिनकी परंपराएं कुंभ से जुड़ी हुई हैं।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि इस बार आप सब ने देखा होगा कि कुंभ में युवाओं की भागीदारी बहुत व्यापक रूप में नजर आती है। ये भी सच है कि जब युवा-पीढ़ी अपनी सभ्यता के साथ जुड़ जाती है तो उसकी जड़ें और मजबूत होती हैं और तब उसका स्वर्णिम भविष्य भी सुनिश्चित हो जाता है। हम इस बार कुंभ के डिजिटल फ़ुटप्रिंट्स भी इतने बड़े स्केल पर देख रहे हैं। कुंभ की ये वैश्विक लोकप्रियता हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।
प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल के गंगा सागर मेले का भी जिक्र किया। बोले, " कुछ दिन पहले ही पश्चिम बंगाल में 'गंगा सागर' मेले का भी विहंगम आयोजन हुआ है। संक्रांति के पावन अवसर पर इस मेले में पूरी दुनिया से आए लाखों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई है। कुंभ, पुष्करम और गंगा सागर मेला हमारे ये पर्व हमारे सामाजिक मेल-जोल को, सद्भाव को, एकता को बढ़ाने वाले पर्व हैं। ये पर्व भारत के लोगों को भारत की परंपराओं से जोड़ते हैं। जैसे हमारे शास्त्रों ने संसार में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, चारों पर बल दिया है। वैसे ही हमारे पर्वों और परंपराएं भी आध्यात्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक, हर पक्ष को भी सशक्त करते हैं।"
पीएम मोदी ने कहा, इस महीने हमने 'पौष शुक्ल द्वादशी' के दिन रामलला के प्राण प्रतिष्ठा पर्व की पहली वर्षगांठ मनाई है। इस साल पौष शुक्ल द्वादशी 11 जनवरी को पड़ी थी। इस दिन लाखों राम भक्तों ने अयोध्या में रामलला के साक्षात दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया। प्राण प्रतिष्ठा की ये द्वादशी भारत की सांस्कृतिक चेतना की पुनः प्रतिष्ठा की द्वादशी है। इसलिए पौष शुक्ल द्वादशी का ये दिन एक तरह से प्रतिष्ठा द्वादशी का दिन भी बन गया है। हमें विकास के रास्ते पर चलते हुए ऐसे ही अपनी विरासत को भी सहेजना है और उनसे प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना है।