भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, "आरजी कर मामले में फैसला तो आ गया, लेकिन क्या पूरा न्याय हुआ? पीड़िता के माता-पिता और डॉक्टर प्रोटेस्ट कर रहे थे, उनसे पूछा जाना चाहिए कि क्या वह इस फैसले से संतुष्ट हैं। स्पष्ट है कि टीएमसी की सरकार ने सबूत को मिटाया, खुद सुप्रीम कोर्ट और पीड़िता के माता-पिता ने यह बात कही है। वहां की सरकार बेटी को न्याय दिलाओ नहीं, बल्कि सच को दबाओ पर काम कर रही थी। कई लोगों के मन में अभी भी संशय है कि यह एक आदमी का काम नहीं हो सकता है। अब सिर्फ यह देखना है कि क्या प्रोटेस्ट करने वाले डॉक्टर, माता-पिता को ये लगता है कि उन्हें इंसाफ मिल पाया है?"
उन्होंने कहा, "सवाल तो यही बनता है कि टीएमसी सरकार ने बलात्कारी को बचाने का हर हथकंडा अपनाया। इतना ही नहीं, डॉक्टरों को धमकियां भी दी गईं। इस बात को देश और पश्चिम बंगाल कभी नहीं भूलेगा।"
भाजपा की राज्यसभा सांसद रेखा शर्मा ने आरजी कर मामले पर बात करते हुए कहा, "मेरा मानना है कि ममता सरकार को इससे भी बड़ा झटका लगना चाहिए था। उनके राज्य में इतना बड़ा कांड हुआ और उसके बाद हजारों की तादाद में लोग प्रोटेस्ट पर चले गए। मुझे लगता है कि इस मामले में ममता सरकार शामिल थी। इस मामले में आरोपी को उम्रकैद की बजाय सजा मौत दी जानी चाहिए थी, क्योंकि अस्पताल में घटना घटित होने के बाद वहां धुलाई की गई और सारे सबूत मिटा दिए गए।"
भाजपा सांसद कमलजीत सहरावत ने से बातचीत कहा, आरजी कर मेडिकल कॉलेज का मामला निर्भया कांड के बाद दूसरा ऐसा केस था, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस मामले के बाद भारत की हर एक बेटी को लगा कि ऐसी घटना कहीं भी हो सकती है। आज कोर्ट ने आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई है, मेरा मानना है कि पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए सड़क पर उतरने वाले लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। अगर कोर्ट द्वारा आरोपी को फांसी की सजा सुनाई जाती, तो बहुत सारे लोगों तक मैसेज पहुंच पाता। यह बंगाल सरकार का फेलियर है, क्योंकि उन्होंने कोर्ट में तथ्यों को सही तरह से पेश नहीं किया।"
पश्चिम बंगाल की भाजपा नेता अग्निमित्रा पॉल ने आरजी कर मामले के दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा, "आज के फैसले से हम लोग खुश नहीं है, हमारा विश्वास है कि इस मामले में अकेला दोषी संजय रॉय नहीं है, बल्कि उसके साथ अन्य लोग भी आरजी कर मामले में शामिल थे। संजय रॉय को बचाने के लिए पहले दिन से ही ममता बनर्जी की सरकार ने सारे सबूतों को मिटाया। इतना ही नहीं, पीड़िता का जल्दबाजी में पोस्टमार्टम भी किया गया। दावा किया गया कि संजय ने अकेले ही पूरे घटनाक्रम को अंजाम दिया था, लेकिन मुझे लगता है कि ऐसा नहीं हुआ है।"