रक्षा सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की ओर से एक ड्रोन पुंछ जिले के मेंढर सेक्टर में नियंत्रण रेखा पार कर भारतीय क्षेत्र में घुस आया।
सूत्रों ने बताया, "सेना के सतर्क जवानों ने ड्रोन पर फायरिंग की और उसे पाकिस्तानी सीमा में वापस लौटना पड़ा।"
सूत्रों के मुताबिक बुधवार रात करीब 1 बजे सतर्क जवानों को ड्रोन की हरकत का पता चला। जवानों ने तड़के तलाशी अभियान शुरू किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ड्रोन से कोई हथियार या नशीले पदार्थ तो नहीं गिराए जा रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बनाए रखने के लिए हथियार, ड्रग्स या नकदी गिराने के लिए पाकिस्तानी सेना की सहायता से आतंकवादी ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं।
आतंकवादियों की कार्यप्रणाली ओवर-ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) को नियुक्त करना रही है, जो जाहिर तौर पर निहत्थे नागरिक होते हैं। ये ओवर-ग्राउंड वर्कर्स ड्रोन से गिराए गए बमों को आतंकवादियों के उपयोग के लिए उठाते हैं।
केंद्र शासित प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा करने वाले बीएसएफ ने ड्रोन की गतिविधियों का पता लगाने के लिए विशेष एंटी-ड्रोन सिस्टम तैनात किया है। एक बार जब इनका पता चल जाता है तो तैनात जवान इन्हें तुरंत निष्क्रिय कर देते हैं।
बता दें कि अतीत में, जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ और हथियारों की आवाजाही के लिए सीमा पार सुरंगों का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन पिछले पांच वर्षों से अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ऐसी कोई सुरंग नहीं मिली है। अधिकारियों ने बताया कि नियंत्रण रेखा एक प्राकृतिक सीमा है और सीमा पार सुरंग बनाना आसान नहीं है।
जम्मू-कश्मीर में 740 किलोमीटर लंबी एलओसी और पाकिस्तान के साथ 226 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है। भारतीय सेना जहां नियंत्रण रेखा की सुरक्षा करती है, वहीं बीएसएफ जम्मू संभाग के जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों में सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाती है।