झारखंड में आईएएस के पुत्र के नाम पर तीन बर्थ सर्टिफिकेट का विवाद गहराया, भाजपा ने की कार्रवाई की मांग

23 Jan, 2025 7:41 PM
झारखंड में आईएएस के पुत्र के नाम पर तीन बर्थ सर्टिफिकेट का विवाद गहराया, भाजपा ने की कार्रवाई की मांग
रांची, 23 जनवरी (आईएएनएस): । झारखंड के एक आईएएस राजीव रंजन के बेटे का तीन अलग-अलग बर्थ सर्टिफिकेट जारी किए जाने के मुद्दे ने तूल पकड़ लिया है। भारतीय जनता पार्टी ने इसे फर्जीवाड़ा का बड़ा मामला बताते हुए इसके लिए आईएएस के खिलाफ जांच और कार्रवाई की मांग की है।

गुरुवार को झारखंड प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रदेश प्रवक्ता अजय शाह ने कहा कि झारखंड में “कानून के राज” का खुलेआम मजाक उड़ाया जा रहा है। आम जनता और बड़े अधिकारियों के लिए अलग-अलग कानून लागू किए जा रहे हैं। यदि ऐसा फर्जीवाड़ा किसी सामान्य व्यक्ति ने किया होता, तो नगर निगम उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करता।

आईएएस राजीव रंजन के पुत्र के नाम पर तीन अलग-अलग जन्म तिथियों वाले सर्टिफिकेट रांची नगर निगम की ओर से जारी किए गए थे। हालांकि, झारखंड सरकार की ओर से जारी एक प्रेस नोट में बताया गया है कि जन्म-मृत्यु के निबंधन के आधिकारिक पोर्टल पर सिर्फ एक ही वैध जन्म प्रमाण पत्र अंकित है एवं अन्य प्रमाण पत्रों को निरस्त किया जा चुका है।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने सरकार की ओर से जारी प्रेस नोट के आधार पर चार सवाल पूछे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने स्पष्ट किया है कि आईएएस अधिकारी राजीव रंजन के बेटे के एक जन्म प्रमाण पत्र को वैध माना गया है, जबकि अन्य को निरस्त कर दिया गया है। पहला सवाल यह है कि रांची नगर निगम ने तीन में से किस प्रमाण पत्र को वैध ठहराया और किन्हें रद्द किया? साथ ही, यह निर्णय किस आधार पर लिया गया कि कौन सा प्रमाण पत्र असली है और कौन सा फर्जी?

दूसरा सवाल यह उठता है कि जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करते समय एक शपथ पत्र देना अनिवार्य होता है। यदि फर्जी शपथ पत्र दिया गया था, तो क्या नगर निगम ने संबंधित आईएएस अधिकारी के खिलाफ फर्जीवाड़े का मामला दर्ज किया है? तीसरा सवाल है कि नगर निगम के उस अधिकारी पर क्या कार्रवाई की गई, जिसने तीन अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्र जारी किए और उन्हें सत्यापित किया?

चौथा सवाल यह है कि जिस ऊंचे पद पर संबंधित आईएएस अधिकारी वर्तमान में कार्यरत हैं, उनके खिलाफ विभागीय स्तर पर कौन सी अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है? क्या ऐसे अधिकारी के भरोसे झारखंड का पूरा वित्त विभाग चलाया जाएगा?

अजय साह ने आगे कहा कि यह मामला एक बड़े अधिकारी से जुड़ा है, इसलिए निगम का रवैया नरम दिखाई दे रहा है। उन्होंने इस पूरे मामले को गंभीरता से जांचने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

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