उन्होंने कहा कि बिहार ऋषियों, तपस्वियों और मनीषियों की धरती रही है, मैं सर्वप्रथम यहां की धरती को नमन करता हूं। उन्होंने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि यहां की भूमि बहुत ही उर्वरा है, यहां से बच्चे देश के विभिन्न हिस्से में जाकर बिहार का नाम रोशन करते हैं। इस दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय के 22 स्वर्ण विजेताओं को गोल्ड मेडल से सम्मानित करते हुए कहा कि मुझे इस बात पर गर्व है कि 22 गोल्ड मेडलिस्ट में से 19 इस विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों की छात्राएं है। इससे स्पष्ट है कि बेटियां आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने उपस्थित छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आपकी शिक्षा यही समाप्त नहीं हो रही है, बल्कि आगे भी आपको बहुत कुछ करना शेष है।
समारोह में बिहार के मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल तथा सुनील कुमार ने भी छात्रों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की और अपने-अपने क्षेत्र में और आगे बढ़ने की शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि नौकरी पाना ही शिक्षा का मुख्य उद्देश्य नहीं होना चाहिए, बल्कि स्वरोजगार की दिशा में भी अपनी शिक्षा का उपयोग करना चाहिए, ताकि देश की आर्थिक ढांचा मजबूत बनी रहे।
उपाधि प्राप्त करनेवाले छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, " हमारे युवाओं को नौकरी की मानसिकता से बाहर निकलकर स्वरोजगार प्रारंभ करके देश के अर्थव्यवस्था में योगदान करना चाहिए। केन्द्र एवं राज्य सरकार स्टार्टअप शुरू करने में मदद कर रही है।"
राज्यपाल ने उन्हें जीवन में अनुशासन लाने की सलाह देते हुए कहा कि उनके व्यवहार के आधार पर ही समाज में उनकी पहचान बनेगी। उन्होंने उन्हें एक अच्छा इंसान बनने को कहा, क्योंकि एक अच्छा व्यक्ति हमेशा अच्छा और समाजोपयोगी कार्य करता है, चाहे वह किसी भी पेशे से संबंध रखता हो।
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति गोपाल नारायण सिंह ने आगत अतिथियों का स्वागत किया तथा प्रतीक चिन्ह और शॉल देकर सम्मानित किया। मौके पर जिलाधिकारी उदिता सिंह एसपी रौशन कुमार एसडीएम चंद्रशेखर प्रसाद सिंह सहित कई अधिकारी मौजूद रहे।
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