प्रदर्शन कर रहे विधायकों ने हाथ में पोस्टर बैनर ले रखा था। इन पोस्टरों पर 'नौकरी रोजगार मतलब तेजस्वी', 'युवाओं की आस तेजस्वी' लिखा था। विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने कहा कि जब बिहार में महागठबंधन की सरकार थी, तब तेजस्वी यादव ने 17 महीने में पांच लाख से ज्यादा बेरोजगारों को रोजगार और नौकरी दिया। एनडीए सरकार में बेरोजगारी चरम पर है।
उन्होंने कहा कि सिपाही भर्ती हो या बीपीएससी की होने वाली परीक्षा हो, अलग-अलग नियम बनाया जा रहा है, इससे छात्रों में आक्रोश है। सही मायने में नीतीश सरकार को नौकरी देने की इच्छा ही नहीं है। सरकारी बहाली प्रक्रिया में ऐसी त्रुटि छोड़ देते हैं, जिससे लोग कोर्ट चले जाते हैं और पूरी प्रक्रिया रुक जाती है। उन्होंने आगे कहा कि तेजस्वी यादव के कार्यकाल में नौकरी की परीक्षा में कोई शिकायत नहीं आती थी। उस दौर में लोगों को सही तरीके से नौकरी मिली।
इधर, विधायक पवन जयसवाल ने कहा कि तेजस्वी अगर नौकरी देते भी हैं, तो उसके बदले में जमीन लेते हैं। यह उनके परिवार का प्रमाणिक सिद्धांत रहा है। उन्होंने कहा कि नौकरी और रोजगार का जो वादा एनडीए ने किया था, वह सरकार पूरा कर रही है। उल्लेखनीय है कि शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्षी सदस्यों ने आरक्षण का दायरा बढ़ाने व स्मार्ट मीटर को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश कर चुकी है।
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