नेहरू-गांधी पर‍िवार ने की डॉ. आंबेडकर की ख‍िलाफत

18 Dec, 2024 11:20 PM
नेहरू-गांधी पर‍िवार ने की डॉ. आंबेडकर की ख‍िलाफत
नई द‍िल्‍ली, 18 द‍िसंबर (आईएएनएस): । इन दि‍नों बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर को लेकर सत्ता व व‍िपक्ष के बीच आरोप-प्रत्‍यारोप का दौर चल रहा है। दोंनों एक-दूसरे को आंबेडकर का व‍िरोधी और खूद को अंबेडकर व उनकी नीत‍ियों का समर्थक बताते हैं। लेक‍िन कुछ तथ्‍य ऐसे हैं, जो कांग्रेस को आंबेडकर की ख‍िलाफत करते हुए द‍िखाते हैं।

कांग्रेस के उम्‍मीदवार के ख‍िलाफ बाबा साहेब को दो बार चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा। देश में पहले आम चुनाव में बाबा साहेब ने बांबे नार्थ सेंट्रल से अपनी पार्टी शेड्युल कास्‍ट फेडरेशन पार्टी से चुनाव लड़ा। उनके ख‍िलाफ कांग्रेस ने काजरोलकर को चुनाव मैदान में उतारा। पंड‍ित जवाहर लाल नेहरू ने काजरोलकर के पक्ष में चुनाव प्रचार क‍िया। जब पर‍िणाम घोषि‍त हुआ, तो बाबा साहेब 15 हजार मतों से चुनाव हार गए। दूसरी बार महाराष्‍ट्र के भंडारा से बाबा साहेब ने चुनाव में अपना भाग्‍य आजमाया। कांग्रेस ने भी चुनाव में अपने उम्‍मीदवार के पक्ष में पूरा जोर लगाया। आख‍िर में बाबा साहेब को पराजय का सामना करना पड़ा।

कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में रहने के दौरान बाबा साहेब को भारत रत्‍न पुरस्‍कार भी प्रदान नहीं क‍िया। जब‍क‍ि पंड‍ित नेहरू ने 1955 में खुद को व पूर्व प्रधानमंत्री इंद‍िरा गांधी ने 1971 में स्‍वंय को भारत रत्‍न प्रदान क‍िया। इतना ही नहींं, पहले आम चुनाव में बाबा साहेब को हराने वाले काजरोलकर को कांग्रेस ने पद्म व‍िभूषण से सम्‍मानि‍त क‍िया। बाद में 1990 में कांग्रेस की सरकार जाने के बाद जब केंद्र में भाजपा समर्थ‍ित सरकार बनी, तो बाबा साहेब को भारत रत्‍न प्रदान किया गया।

कांग्रेस ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंड‍ित जवाहर लाल नेहरू की 100वीं जयंती तो धूमधाम से मनाई, लेक‍िन देश को संव‍िधान देने वाले बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की जयंती को नजरअंदाज क‍िया। उनकी जयंती पर कांग्रेस की ओर से क‍िसी कार्यक्रम का आयोजन नहीं क‍िया गया।

नेहरू की कि‍ताब 'स‍िलेक्‍टेड वर्क्‍स ऑफ जवाहर लाल नेहरू' में उल्‍लेख है क‍ि जब सीबी राव ने पंड‍ित नेहरू को पत्र ल‍िखकर अवगत कराया क‍ि बाबा साहेब आपके मंत्र‍िमंडल से इस्‍तीफा देने का मन बना रहे हैं, आप उन्‍हें ऐसा करने से रोक‍िए, तो नेहरू ने कहा क‍ि आंबेडकर के जाने से मंत्र‍िमंडल को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसी क‍िताब में उल्‍लेख है क‍ि बाबा साहेब ने नेहरू से कहा क‍ि वह अनुसूच‍ित जात‍ि, जनजात‍ि व उनकी व‍िदेश नीत‍ि से असहमत हैं। आश्‍वासन के बावजूद पंड‍ित नेहरू ने उन्‍हें अपने मंत्र‍िमंडल में कोई महत्‍वपूर्ण व‍िभाग नहीं द‍िया और उन्‍हें व‍िदेश व रक्षा सम‍ित‍ि जैसी महत्‍वपूर्ण सम‍ित‍ियों से बाहर रखा।

पंड‍ित नेहरू की ही एक अन्‍य क‍िताब ' लेटर्स टू चीफ म‍िन‍िस्‍टर्स' में इस बात का उल्‍लेख है क‍ि बांबे के मेयर ने बाबा साहेब के जन्‍म स्‍थान महू में उनका एक स्‍मारक बनाने के ल‍िए पंड‍ित नेहरू को पत्र ल‍िखा, तो नेहरू ने कहा क‍ि स्‍मारक बनाना सरकार का काम नहीं है, हां, अगर कोई पहल करता है, तो हम उसकी मदद कर सकते हैं।

कांग्रेस के व‍िपरीत भाजपा सरकार ने डॉ. आंबेडकर के सम्‍मान में अनेक कार्य क‍िए। सबसे पहले उनसे संबध‍ित स्‍थानों को पंचतीर्थ के रूप में व‍िकस‍ित क‍िया। 19 नवंबर 1915 को मोदी सरकार ने बाबा साहेब की याद में 29 नवंबर को 'संव‍िधान द‍िवस' घोषि‍त क‍िया। मोदी सरकार ने ही डाॅ. आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर की स्‍थापना की। 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने बाबा साहेब के महापर‍िन‍िर्वाण स्‍थल पर राष्‍ट्रीय स्‍मारक का उद्घाटन क‍िया।

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