छठ पर्व को लेकर पूरे बिहार में उमंग और उत्साह है। मोहल्लों से लेकर गंगा तटों तक पूरे इलाके में छठ पूजा के पारंपरिक गीत गूंज रहे हैं। राजधानी पटना की सभी सड़कें दुल्हन की तरह सजी हैं, जबकि गंगा तट और तालाब के घाट अर्घ्य के लिए तैयार हैं। मुख्य सड़कों से लेकर गलियों तक की सफाई की गई है और उन पर पानी की बौछार की गई है। कई स्थानों पर तोरण द्वारा लगाए गए हैं। हर कोई, हर वर्ग अपने सामर्थ्य के अनुसार छठ पर्व पर अपनी सहभागिता देना चाह रहा है।
पटना के गंगा तट पर सौ से अधिक घाट व्रतियों को अर्घ्य देने के लिए तैयार किये गए हैं। इसके अलावा अस्थायी तालाब, पार्कों और अन्य तालाबों में भी अर्घ्य की व्यवस्था की गई है। सभी घाटों पर सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई है। पटना में जिला प्रशासन द्वारा छठ पर्व के मद्देनजर नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई है। पटना के गंगा तट के कई घाटों के समीप व्रतियों को अर्घ्य देने के लिए अस्थाई तालाब बनाए गए हैं। व्रतियों और आने वाले लोगों की सुविधा के लिए अस्थायी चेंजिंग रूम, अस्थायी यूरिनल भी बनाये गए हैं। अत्याधिक गहराई वाले क्षेत्रों की बैरिकेडिंग कर दी गई है।
एक अधिकारी ने बताया कि सभी घाटों पर एनडीआरएफ की टीम तैनात की गई है। पटना सहित पूरे राज्य में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। पटना के गंगा घाटों पर अतिरिक्त सुरक्षा की व्यवस्था की गई है। पटना की यातायात व्यवस्था में भी बदलाव किए गए हैं। गौरतलब है कि पटना सहित राज्य के विभिन्न इलाके से लोग गंगा तट पर छठ करने पहुंचते हैं।
इधर, मुजफ्फरपुर, सासाराम, मुंगेर, खगड़िया, भागलपुर, औरंगाबाद सहित सभी जिलों के गांव से लेकर सभी लोग छठ पर्व की भक्ति में डूबे हैं। बिहार के औरंगाबाद जिले के प्रसिद्ध देव सूर्य मंदिर, नालंदा के बड़गांव, पटना के उलार, पुण्यार्क सहित राज्य के सभी सूर्य मंदिरों में हजारों लोगों की भीड़ भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए पहुंची है।
उल्लेखनीय है कि बुधवार की शाम व्रतियों ने भगवान भास्कर की आराधना की और खरना किया। खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ हो गया। पर्व के तीसरे दिन गुरुवार को छठव्रती शाम को नदी, तालाबों सहित विभिन्न जलाशयों में पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे। पर्व के चौथे और अंतिम दिन यानी शुक्रवार को उदीयमान सूर्य के अर्घ्य देने के बाद ही श्रद्धालुओं का व्रत समाप्त हो जाएगा। इसके बाद व्रती फिर अन्न-जल ग्रहण कर ’पारण’ करेंगे।