गंभीर मानव संक्रमणों में वृद्धि के पीछे नई प्रजाति का सुपरबग

02 Nov, 2024 1:05 PM
गंभीर मानव संक्रमणों में वृद्धि के पीछे नई प्रजाति का सुपरबग
नई दिल्ली, 2 नवंबर (आईएएनएस): । हाल ही में एक नए बैक्टीरिया का प्रकार पाया गया है जिसे स्ट्रेप्टोकोकस डिस्गालेक्टिये सबस्पीशीज इक्विसिमिलिस (एसडीएसई) कहा जाता है। एक अध्ययन के अनुसार, यह बैक्टीरिया गंभीर संक्रामक रोगों की वैश्विक दर में वृद्धि कर रहा है और कई महत्वपूर्ण एंटीबायोटिक्स के खिलाफ प्रतिरोधी हो रहा है।

एसडीएसई से संक्रमित व्यक्ति की त्वचा, गले, जठरांत्र संबंधी मार्ग (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट) और महिला जननांग पथ (फीमेल जेनिटल ट्रैक्ट) में संक्रमण होने की संभावना होती है, जिसकी गंभीरता स्ट्रेप थ्रोट (ग्रसनीशोथ) से लेकर नेक्रोटाइज़िंग फेसाइटीस (मांस खाने वाली बीमारी) तक हो सकती है।

अमेरिका में ह्यूस्टन मेथोडिस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट की टीम ने कहा, '' हालांकि एसडीएसई समूह ए स्ट्रेप्टोकोकस (जिसे आमतौर पर स्ट्रेप्टोकोकस पायोजेन्स के रूप में भी जाना जाता है) से निकटता से संबंधित है, जिस पर बहुत अच्‍छी तरह से शोध किया गया है, लेकिन एसडीएसई के बारे में बहुत कम जानकारी है।''

बेहतर ढंग से समझने के लिए टीम ने एक जटिल विधि का इस्तेमाल किया और एक खास किस्म के एसटीजी62647 के 120 मानव नमूनों का अध्ययन किया।

पत्रिका एमबायो में प्रकाशित एक शोधपत्र में टीम ने बताया कि एसटीजी62647 एसडीएसई के प्रकारों का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इनके असामान्य रूप से गंभीर संक्रमण उत्पन्न करने की बात सामने आई है।

शोध टीम ने उपप्रकार के जीनोम का विश्लेषण किया जहां इसके डीएनए की जानकारी एकत्र होती है। उन्होंने इसके ट्रांसक्रिप्टोम को भी डिकोड किया जो एसडीएसई कोशिकाओं को एकत्रित किए जाने के समय संपूर्ण जीन एक्सप्रेशन प्रोफाइल का एक स्नैपशॉट प्रदान करता है। इससे शोधकर्ताओं को एसडीएसई की विषाणुता को समझने में भी मदद मिली कि यह अपने होस्ट को किस हद तक नुकसान पहुंचा सकता है।

उन्होंने पाया कि मृत्यु दर के आंकड़ों के आधार पर अप्रत्याशित रूप से व्यापक स्तर (20-95 प्रतिशत) पर बीमारी फैलाने की क्षमता की पहचान की गई।

परिणामों से पता चलता है कि मानव आनुवंशिकी और अंतर्निहित चिकित्सा स्थितियां रोग की गंभीरता में योगदान करती हैं।

टीम ने कहा कि विश्लेषण से मानव जीवाणु रोगजनक के बारे में नए आंकड़े सामने आए हैं, जो उपचार विकसित करने और वैक्सीन अनुसंधान में मदद कर सकता है। इसके साथ ही टीम ने इस ओर अधिक शोध की आवश्यकता पर बल दिया है।




सौजन्य मीडिया ग्रुप: आईएएनएस


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