पीएम2.5 के संपर्क में आने से बच्चों की सोचने-समझने की क्षमता और बड़ों में अल्जाइमर का खतरा

नई दिल्ली, 2 नवंबर ( आईएएनएस): । लंबे समय तक वायु प्रदूषण के कण जैसे पीएम 2.5 के संपर्क में रहना सभी उम्र के लोगों की याददाश्त और दिमागी सेहत पर बुरा असर डाल सकता है। एक अध्ययन में यह पता चला है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली की हवा की गुणवत्ता लगातार खराब बनी हुई है।

पीएम2.5 के संपर्क में आने से बच्चों की सोचने-समझने की क्षमता और बड़ों में अल्जाइमर का खतरा
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शनिवार सुबह दिल्ली-एनसीआर में एक धुंध की परत देखी गई और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 'खराब' श्रेणी में दर्ज हुआ। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, दिल्ली का औसत एक्यूआई सुबह 7:30 बजे 294 था, जिसमें 18 जगहों पर एक्यूआई 300 से ऊपर पाया गया, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है।

8,500 बच्चों पर आधारित इस अध्ययन में पाया गया कि वायु प्रदूषण का एक घटक, अमोनियम नाइट्रेट, जो आमतौर पर कृषि कार्यों के कारण उत्पन्न होता है, 9-10 साल की उम्र के बच्चों की सीखने और याददाश्त की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

अध्ययन के अनुसार, पीएम 2.5 का यह घटक, अमोनियम नाइट्रेट, बड़ों में अल्जाइमर और डिमेंशिया का खतरा बढ़ाता है। इससे पता चलता है कि पीएम 2.5 पूरे जीवनकाल में मानसिक सेहत पर बुरा असर डाल सकता है।

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अमोनियम नाइट्रेट तब बनता है जब कृषि कार्यों से निकली अमोनिया गैस और जीवाश्म ईंधन के दहन से निकला नाइट्रिक एसिड वातावरण में मिलते हैं।

केक स्कूल ऑफ मेडिसिन, यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलिफोर्निया की प्रोफेसर मेगन हर्टिंग ने कहा कि वायु कणों के स्रोतों और उनके रसायनों पर अधिक शोध की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि इन तत्वों को समझने से हवा की गुणवत्ता को नियंत्रित करने और दीर्घकालिक मानसिक प्रभावों को समझने में मदद मिलेगी।

अध्ययन के लिए टीम ने पीएम 2.5 के 15 रासायनिक घटकों और उनके स्रोतों पर विशेष सांख्यिकीय तकनीकों का उपयोग किया। इसमें अमोनियम नाइट्रेट को मुख्य घटक के रूप में पहचाना गया।

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