लेवी बॉडी डिमेंशिया (डीएलबी) अल्जाइमर रोग के बाद सबसे आम न्यूरोडीजेनेरेटिव डिमेंशिया है। लेकिन इसे अक्सर गलत डायग्नोज किया जाता है, जिससे मरीज को सही इलाज समय से नहीं मिल पाता।
बीमारी का जल्दी पता लगाने में सहायता करने और बेहतर परिणाम के लिए कोलोराडो विश्वविद्यालय के अंशुट्ज मेडिकल कैंपस के शोधकर्ताओं ने उपलब्ध अध्ययनों से जानकारी एकत्र की और एक कॉग्निटिव प्रोफाइल बनाई। यह प्रोफाइल लेवी बॉडी डिमेंशिया और अल्जाइमर को उनके डिमेंशिया चरण से पहले ही अलग पहचानने में मदद कर सकता है।
विश्वविद्यालय में न्यूरोलॉजी के सहायक प्रोफेसर और प्रमुख लेखक ईस बेयरम ने कहा कि इससे इन बीमारियों से पीड़ित लोगों की देखभाल की दिशा को बेहतर ढंग से सूचित करने में मदद मिल सकती है।
अल्जाइमर और डिमेंशिया जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में, प्री-डिमेंशिया स्टेज डायग्नोसिस के मेटा-विश्लेषण में, डीएलबी वाले लोगों में अल्जाइमर रोगियों की तुलना में कॉग्निटिव लक्षणों में समानताएं पाई गईं।
प्री-डिमेंशिया चरण में, डीएलबी से ग्रस्त लोगों में ध्यान देने की क्षमता, सोचने की गति और निर्णय लेने की क्षमता में अधिक कमी देखी गई, जबकि उनकी याददाश्त और तुरंत बातों को याद रखने की क्षमता अल्जाइमर के मरीजों की तुलना में बेहतर रही।
टीम ने ये भी पाया कि डीएलबी से पीड़ित लोग उन दवाओं के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं जो आमतौर पर साइकोसिस के इलाज के लिए दी जाती हैं, जैसे हैलोपेरीडोल, ये दवाएं उनकी स्थिति को और बिगाड़ सकती हैं।
बेयरम ने कहा, "कॉग्निटिव प्रोफाइल की पहचान करने से हमें दिशा-निर्देश का सुझाव देने के लिए आवश्यक परिणाम मिले, जिससे चिकित्सकों को देखभाल के बेहतर प्लान को आसानी से तैयार करने के लिए प्रशिक्षित किया जा सके।"
शोधकर्ताओं का कहना है कि डिमेंशिया के प्रकार की जल्द पहचान करने से डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति और उनके देखभाल करने वाले साथी दोनों को भविष्य का प्लान बनाने में आसानी हो सकती है। साथ ही, सही लक्षणों के इलाज से बीमारी को नियंत्रित करना आसान हो जाता है।