कानपुर टेस्ट के पहले दिन सिर्फ़ 35 ओवरों का ही खेल हो पाया था, जबकि दूसरे और तीसरे दिन एक भी ओवर नहीं डाला जा सका था। वो भी तब जब तीसरे दिन खेल के समय के दौरान ज़रा भी बारिश नहीं हुई थी। इस मैच से पहले राज्य के पीडब्लूडी विभाग ने ग्रीन पार्क के स्टैंड्स को असुरक्षित करार दिया था, इसके साथ ही विभाग ने पदाधिकारियों को दर्शकों के लिए सीमित संख्या में ही अपर लेवल की सीट मुहैया कराने के निर्देश दिए थे।
उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ (यूपीसीए) ग्रीन पार्क स्टेडियम का उपयोग राज्य सरकार के साथ हुए समझौते के करार के तहत करता है। समझौते के अनुसार सरकार के पास ज़मीन का मालिकाना हक़ है लेकिन स्टेडियम और उसके देखरेख की ज़िम्मेदारी यूपीसीए के पास है।
कानपुर के स्टेडियम की काफ़ी आलोचना होने पर बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने (शुक्ला ख़ुद भी कानपुर से ताल्लुक रखते हैं) बचाव किया था, हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि स्टेडियम के नवीनीकरण की ज़रूरत है।
हालांकि लगभग ढाई दिनों का खेल व्यर्थ होने के बावजूद भारत ने 121.2 ओवरों में ही बांग्लादेश के सभी 20 विकेट चटकाए और ख़ुद 52 ओवरों में 7.36 रन प्रति ओवर की दर से 383 रन बनाते हुए जीत दर्ज की थी। हालांकि कानपुर की पिच को संतोषजनक रेटिंग ज़रूर मिली है।
आईसीसी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के लिए आउटफ़ील्ड को बहुत अच्छा से अनफ़िट तक के पैमाने पर रेट करती है : बहुत अच्छा, संतोषजनक, असंतोषजनक और अनफ़िट। असंतोषजनक रेटिंग पर वेन्यू के खाते में एक डीमेरिट अंक जोड़ा जाता है, जबकि अनफ़िट रेटिंग पर तीन डीमेरिट अंक मिलते हैं। अगर किसी मैदान को पांच साल की अवधि में पांच या उससे अधिक डीमेरिट अंक मिलते हैं तब उस मैदान को 12 महीनों के लिए किसी भी अंतर्राष्ट्रीय मैच की मेज़बानी करने से प्रतिबंधित कर दिया जाता है।
कानपुर के इतर चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम को 'बहुत अच्छा' रेटिंग मिली है जबकि न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला करने वाले मुंबई, बेंगलुरु और पुणे के मैदान की पिचों को 'संतोषजनक' रेटिंग मिली है।