भारतीय क्रिकेट पर टी20 का असर, खिलाड़ियों के लिए रणजी जैसी प्रतियोगिताएं जरूरी : सुरेंद्र खन्ना

13 Jan, 2025 4:19 PM
भारतीय क्रिकेट पर टी20 का असर, खिलाड़ियों के लिए रणजी जैसी प्रतियोगिताएं जरूरी : सुरेंद्र खन्ना
मुंबई, 13 जनवरी (आईएएनएस): । भारतीय क्रिकेट टीम के लिए टेस्ट स्तर पर पिछले दो सीरीज काफी खराब रही हैं। भारत ने पहले अपने घर पर न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन मैचों की सीरीज के सभी मैच हारे और फिर ऑस्ट्रेलिया में बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी भी 1-3 से गंवा दी। टीम इंडिया के मौजूदा प्रदर्शन, रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे सीनियर खिलाड़ियों की फॉर्म, आने वाली इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) और योगराज सिंह के बयान पर भारत के पूर्व क्रिकेटर सुरेंद्र खन्ना ने आईएएनएस से बातचीत की।

आईपीएल को लेकर भारत के पूर्व खिलाड़ी सुरेंद्र खन्ना ने कहा कि यह बहुत ही उत्साहित करने वाली लीग है, जिसे बहुत लोग फॉलो करते हैं। टी20 के नजरिए से यह काफी अच्छी है। हम टी20 विश्व कप के चैंपियन भी हैं। लेकिन टेस्ट मैचों के नजरिए से नुकसान है। भारत ने न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हालिया टेस्ट सीरीज हारी हैं। आईपीएल पैसा कमाने का जरिया है, लेकिन अगर आपको अच्छा खिलाड़ी बनना है तो रणजी ट्रॉफी और घरेलू मैच ज्यादा से ज्यादा खेलना चाहिए। इससे मेंटल और फिजिकल दोनों स्तर पर फिटनेस अच्छी होती है।

सुरेंद्र खन्ना ने आगे कहा, "लेकिन अब टी20 ज्यादा फॉलो होता है। खिलाड़ियों को चार ओवर डालने के कई करोड़ रुपये मिल जाते हैं। टेस्ट क्रिकेट में एक दिन में 90 ओवर डाले जाते हैं। खिलाड़ियों का अधिकतम फोकस टी20 पर होता है। वे इसी फॉर्मेट को खेलना ज्यादा पसंद करते हैं। जबकि जो खिलाड़ी अपने स्टेट से अंडर-15, अंडर-19 और रणजी ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंट खेलकर आते हैं, उनकी मेंटल और फिजिकल फिटनेस बेहतर होती है। खिलाड़ियों को दोनों फॉर्मेट पर ध्यान देना होगा। टी20 की भी अहमियत है क्योंकि अधिकतर राजस्व यहीं से आता है। लेकिन संतुलन जरूरी है। हमारी टीम हाल में ही कई मैच हारी क्योंकि उनमें मेंटर और फिजिकल फिटनेस की कमी थी।"

सुरेंद्र खन्ना का मानना है कि भारत को ऑस्ट्रेलिया में चार तेज गेंदबाज खिलाने चाहिए थे। स्पिन गेंदबाजी कोई भी कर सकता था।

उन्होंने विराट कोहली और रोहित शर्मा की फॉर्म पर बात करते हुए कहा, "दुर्भाग्य से ये दो बल्लेबाज फॉर्म में नहीं थे। लेकिन ये दोनों बड़े खिलाड़ी हैं जो वापस अपनी फॉर्म में आने के तरीके ढूंढ लेंगे। इनकी अति आलोचना या संन्यास लेने की बात करना ठीक नहीं है क्योंकि हमारे पास अभी भी यशस्वी जायसवाल को छोड़कर इन बल्लेबाजों का विकल्प मौजूद नहीं हैं। बड़े खिलाड़ी खुद खेल से अपनी विदाई तय करते हैं। बीसीसीआई और उनके चेयरमैन को इन खिलाड़ियों से बात करनी चाहिए।"

सुरेंद्र खन्ना ने बताया कि उनके समय में जब कोई खिलाड़ी टीम से बाहर होता था तो उसे वापस टीम में आने में चार-पांच साल तक भी लग सकते थे। खिलाड़ी को रणजी, दिलीप ट्रॉफी समेत घरेलू प्रतियोगिताओं में भाग लेना होता था। बीसीसीआई को अभी भी यह नियम कर देना चाहिए कि जो खिलाड़ी टीम से बाहर हो, उसे रणजी खेलना जरूरी बन जाए। ऐसे टूर्नामेंट में खेलने के बाद ही आप लंबे-लंबे स्पैल डालना सीखते हैं।

वहीं, भारत के पूर्व क्रिकेटर योगराज सिंह के कपिल देव पर दिए बयान पर सुरेंद्र खन्ना ने कहा, "योगराज हमारे दोस्त हैं। कपिल भी जानते हैं कि वह कुछ भी बोल देते हैं। ज्यादा गंभीरता से लेने का कोई मतलब नहीं है। हमें हैप्पी लोहड़ी बोलकर इस बात को खत्म कर देना चाहिए।"

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