'शंकर आईएएस अकादमी' ने अपने विज्ञापन में दावा किया था कि यूपीएससी 2022 में अखिल भारतीय स्तर पर 933 में से उसके 336 छात्रों का चयन हुआ। उन्होंने दावा किया कि शीर्ष 100 में 40 उम्मीदवार शामिल रहे, तमिलनाडु से 42 उम्मीदवार उत्तीर्ण हुए, जिनमें से 37 ने शंकर आईएएस अकादमी में अध्ययन किया था। उन्होंने 'भारत में सर्वश्रेष्ठ आईएएस अकादमी' होने का भी दावा किया।
सीसीपीए ने रविवार को कहा कि शंकर आईएएस अकादमी ने दाखिल किए गए अपने जवाब में 336 उम्मीदवारों के चयन के दावे के मुकाबले केवल 333 सफल उम्मीदवारों का विवरण प्रस्तुत किया। सीसीपीए के मुताबिक जांच में पता चला कि इन 336 छात्रों में से, 221 ने केवल कोचिंग इंस्टिट्यूट का 'फ्री इंटरव्यू गाइडेंस' कार्यक्रम लिया था। 71 छात्रों ने कोचिंग इंस्टिट्यूट से मेन्स टेस्ट सीरीज़ की कोचिंग ली। 35 ने प्रीलिम्स टेस्ट सीरीज़ के लिए कोचिंग ली, 12 ने सामान्य अध्ययन प्रीलिम्स सह मेन्स लिया, 4 ने कुछ अन्य मुख्य पाठ्यक्रम के साथ प्रीलिम्स टेस्ट सीरीज़ की कोचिंग ली।
सीसीपीए ने कहा, "इन तथ्यों का खुलासा उनके विज्ञापन में नहीं किया गया, जिससे उपभोक्ताओं (छात्रों) को धोखा हुआ। इस महत्वपूर्ण तथ्य को छिपाकर, इस तरह के झूठे और भ्रामक विज्ञापन उन उपभोक्ताओं पर भारी प्रभाव डालते हैं जो यूपीएससी के उम्मीदवार हैं। इस प्रकार के विज्ञापन ने उपभोक्ता के सही सूचना के अधिकार का उल्लंघन किया है।"
सीसीपीए की आयुक्त निधि खरे ने कहा कि समाचार रिपोर्टों के अनुसार हर साल 10 लाख से अधिक उम्मीदवार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करते हैं। शंकर आईएएस अकादमी का विज्ञापन ऐसे उपभोक्ताओं वर्ग को ध्यान में रखकर बनाया गया था जो यूपीएससी के इच्छुक हैं। इसलिए ऐसे विज्ञापनों में महत्वपूर्ण जानकारी का खुलासा करके तथ्यों को सच्चाई और ईमानदारी से दिया जाना चाहिए। तथ्य स्पष्ट व प्रमुखता के साथ हों। इन विज्ञापनों में सफल उम्मीदवारों के नाम और तस्वीरें प्रमुखता से दिखाई जाती हैं। सीसीपीए ने भ्रामक विज्ञापन के लिए कई कोचिंग संस्थानों को नोटिस जारी किया है। सीसीपीए ने पाया है कि कई कोचिंग संस्थान अपने विज्ञापनों में एक ही सफल उम्मीदवार के नाम और तस्वीरों का प्रमुखता से उपयोग करते हैं ताकि यह भ्रम पैदा हो सके कि सफल उम्मीदवार उसी कोचिंग संस्थानों के छात्र थे।