दरअसल, महाराष्ट्र के नागपुर में विजयादशमी के अवसर पर आरएसएस की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शस्त्र पूजन करके अपना संबोधन दिया। इस दौरान इन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमले, सनातन मूल्यों, हमास-इजरायल संघर्ष और विज्ञान समेत तमाम मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया दी।
आरएसएस प्रमुख के दिए बयानों को लेकर गिरिराज सिंह ने कहा कि आरएसएस, भारत के संस्कार और संस्कृति का प्रतीक है और मोहन भागवत इसके लिए काम करते हैं। उन्होंने कहा है कि सनातन ही भारत की पहचान है, अगर सनातन कमजोर होगा तो भारत का लोकतंत्र भी कमजोर होगा। मोहन भागवत ने सनातनियों को कमजोर नहीं होकर बल्कि इकट्ठे रहने के लिए कहा है। अगर, इकट्ठे रहेंगे तो कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।
गिरिराज सिंह ने भागवत के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में हिंदू अंत में इकट्ठे हुए। लेकिन यहां के हिंदू अंतिम में इकट्ठा नहीं हो, बल्कि शुरू से ही एक साथ रहें। अब संगठित होना पड़ेगा, नहीं तो कई लोग ऐसे हैं, जो जिन्ना के सिद्धांतों को लेकर चल रहे हैं।
गिरिराज सिंह ने अंबेडकर के वक्तव्य को याद करते हुए कहा कि बाबा साहेब ने कहा था कि केवल कुछ मुसलमानों को हटाकर हालात नहीं सुधरेंगे, बल्कि सभी मुस्लिम को पाकिस्तान भेज दें।
भाजपा नेता ने आगे कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर के अनुयायियों से बोलना चाहता हूं कि पाकिस्तान में जितने हिंदू हैं, उनको भारत में लाएं। अगर आज बाबा साहेब अंबेडकर की बात को माना गया होता, तो आज बांग्लादेश जैसी स्थिति नहीं उत्पन्न होती।
बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो की रिपोर्ट को लेकर गिरिराज सिंह ने कहा कि उन्होंने मदरसे में बच्चों के साथ हो रही खामियों को देखा होगा, इसलिए उन्होंने मदरसे को बंद करने के लिए कहा होगा।