आलोक शर्मा ने कहा कि चुनाव आयोग ने कांग्रेस पार्टी के ऊपर आरोप लगाते हुए जिस तरह का जवाब दिया वह राजनीतिक भाषा में अधिक था। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और उसे कांग्रेस द्वारा उठाए गए सवालों का उचित उत्तर देना चाहिए था। चुनाव आयोग के पास कांग्रेस पार्टी पहले भी गई थी, लेकिन जिस तरह का जवाब आया वह पूरी तरह से असंतोषजनक था।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की भाषा प्रशासन की भाषा नहीं है। आयोग का यह दायित्व बनता है कि वह पारदर्शी तरीके से जवाब दे और राजनीति से दूर रहकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करे।
आलोक शर्मा ने उत्तराखंड सरकार द्वारा 9 नवंबर को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के फैसले पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि पिछले चुनाव में भी यही हाल था। यूसीसी का ड्राफ्ट भी स्पष्ट नहीं था। हमें तो पता चला था कि यह पहले ही पास हो गया था। यह नौटंकी अधिक नजर आ रही है, क्योंकि दो राज्यों में चुनाव होने वाले हैं।"
उन्होंने यूसीसी को 'हेडलाइन मैनेजमेंट' का एक हिस्सा बताया, जो "चुनावी राजनीति का एक चालाकी पूर्ण प्रयास है"।
आलोक शर्मा ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान पर भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद के पलटवार पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और वह कांग्रेस और जनता के पक्ष में कुछ भी कर सकते हैं। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि रविशंकर प्रसाद यह बताएं कि दो करोड़ रोजगार कहां हैं? बुलेट ट्रेन का क्या हुआ? रेल मंत्री रोज ट्रेन हादसे करा रहे हैं। 15-15 लाख रुपये खाते में आने की बात क्या हुई? साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी होने की बात का क्या हुआ?
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी जो भी गारंटी दे, वह सोच-समझ कर दे, ताकि उसे जमीन पर लागू किया जा सके। इस पर भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि खड़गे स्वयं मानते हैं कि कांग्रेस झूठे वादे करती है।