रवि राजा ने बताया कि उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए सायन कोलीवाड़ा से कांग्रेस पार्टी से टिकट मांगा था। उन्होंने कहा, "मुझे आश्वासन दिया गया था कि मुझे टिकट मिलेगा, क्योंकि मैंने योग्यता और मेरिट के आधार पर आवेदन किया था। लेकिन जब मेरा नाम मुंबई कांग्रेस से दिल्ली भेजा गया, तो वहां टिकट वितरण में बड़े नेताओं की लॉबी का प्रभाव स्पष्ट हो गया।"
उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी में बड़े नेताओं के संपर्क के बिना टिकट नहीं मिलता। रवि राजा ने कहा, "जब मैं टिकट के लिए योग्य था, तब भी मुझे नजरअंदाज किया गया और वह टिकट एक ऐसे प्रत्याशी को दिया गया, जो पिछले चुनाव में 14 हजार वोटों से हार चुका था।"
रवि राजा ने पार्टी की अंदरूनी राजनीति पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि दिल्ली में टिकट वितरण का कोई मेरिट नहीं रह गया है। कार्यकर्ता की मेहनत और लंबे समय की निष्ठा को नजरअंदाज किया जा रहा है। इससे पार्टी में असंतोष बढ़ रहा है और कार्यकर्ता अब अपनी स्थिति को लेकर निराश हैं।
उन्होंने कोविड-19 के दौरान अपने कार्यकाल के बारे में भी बात की, जब वह विपक्ष के नेता थे। उन्होंने आरोप लगाया कि उस समय सत्ता में बैठे नेताओं ने कई टेंडर बिना पारदर्शिता के जारी किए। कई जगहों पर टेंडर में अनियमितता और भ्रष्टाचार हुआ है। मैंने इस मुद्दे को बार-बार उठाया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस में अब रहने का कोई मतलब नहीं रह गया था, इसलिए उन्होंने भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया। मैं हजारों कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा में शामिल हुआ हूं। अब मैं एक नई शुरुआत करना चाहता हूं और राज्य के विकास में योगदान देना चाहता हूं।