से खास बातचीत में जन औषधि केंद्र संचालक रोहित मिश्रा ने प्रधानमंत्री जन औषधि योजना की तारीफ की। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के माध्यम से लोगों को सस्ती दवाइयां आसानी से मिल जाती हैं, जो राष्ट्रीय परीक्षण और शोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) द्वारा प्रमाणित हैं। प्राइवेट मेडिकल स्टोर पर ब्रांडेड दवाईयां 100 रुपये की मिलती है, लेकिन वही दवाइयां जन औषधि केंद्र पर 10 से 15 रुपये के बीच मिलती है। इससे आम लोगों को 90 प्रतिशत की बचत होती है। पहले देशभर में पांच हजार के करीब केंद्र थे, लेकिन अभी इसकी संख्या 14 हजार से अधिक हो गई है। बीते 10 सालों में भारतीय जन औषधि परियोजना के जरिए 30 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है।
उन्होंने आगे कहा, "इन दवाईयों की क्वालिटी से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाता है। जन औषधि केंद्र पर मिलने वाली दवाईयों से आम जनता काफी खुश है। उन्हें आर्थिक तौर पर भी काफी लाभ हो रहा है।"
ग्राहक राहुल प्रजापति ने कहा कि प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की वजह से उन्हें सस्ती दवाइयां आसानी से मिल पाती हैं। इन दवाइयों से किसी भी तरह के कोई अतिरिक्त साइड इफेक्ट नहीं है। यही दवाईयां प्राइवेट मेडिकल स्टोर पर काफी महंगी पड़ती है।
ग्राहक सोनी पांडेय ने बताया कि यहां दवाईयां दूसरे मेडिकल स्टोर की तुलना में काफी सस्ती हैं। मैं पिछले काफी समय से यहां से दवाइयां खरीद रही हूं।
वहीं, ग्राहक संजय कुमार मौर्या ने कहा कि मैं पहले एक हजार से अधिक रुपये में प्राइवेट मेडिकल स्टोर से दवाई खरीदता था, लेकिन अब वही दवाई 300 से 400 रुपये के बीच मिल जाती है। हमें प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के होने से काफी फायदा हो रहा है।