से बात करते हुए अय्यर ने सवाल किया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस्लामाबाद की अपनी यात्रा की प्रकृति के बारे में पहले क्यों नहीं बताया।
कांग्रेस नेता ने कहा, "जयशंकर ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार से क्यों कहा कि भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा बाद में हो सकती है? इस तरह के बयान केवल गैर जरूरी उम्मीदें और अनिश्चितता को जन्म देते हैं।"
जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 15 अक्टूबर, 2024 को पाकिस्तान गए थे, जो लगभग एक दशक में किसी भारतीय मंत्री की पाकिस्तान की पहली यात्रा थी।
अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान जयशंकर ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनके समकक्ष इशाक डार के साथ अनौपचारिक बातचीत की, हालांकि कोई औपचारिक द्विपक्षीय चर्चा नहीं हुई।
जयशंकर को पाकिस्तान भेजने के फैसले को व्यापक रूप से एससीओ के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के कदम के रूप में देखा।
विदेश मंत्री ने एक सार्वजनिक संबोधन में इस बात पर जोर दिया था कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध चाहता है, लेकिन 'सीमा पार आतंकवाद को नजरअंदाज करते हुए ऐसा नहीं हो सकता।' उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी यात्रा का उद्देश्य पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा करना नहीं था, बल्कि एससीओ शिखर सम्मेलन में बहुपक्षीय चर्चा में शामिल होना था।
जयशंकर ने कहा था, 'मैं यहां केवल एससीओ का एक अच्छा सदस्य बनने के लिए आया हूं।'
2015 में वार्ता प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की नाकाम कोशिश के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध ठंडे बस्ते में हैं। अगस्त 2019 में भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के फैसले के बाद पाकिस्तान द्वारा अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाए जाने के बाद स्थिति और खराब हो गई।