गाजियाबाद शहर में 500 से अधिक शादियों के लिए बैंकट हॉल, होटल और धर्मशालाओं को पहले से ही बुक कर लिया गया है। यही नहीं, गाजियाबाद के देहात क्षेत्र में होने वाली शादियों को जोड़ लिया जाए तो यह संख्या एक हजार से अधिक होगी।
पंडित माधव शास्त्री ने बताया कि देवोत्थान एकादशी को बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु का विवाह माता तुलसी से हुआ था, वह मां लक्ष्मी के रूप में भी पूजी जाती हैं। भगवान का विवाह उनके साथ हुआ।
उन्होंने आगे बताया, "शास्त्रों के अनुसार ताकतवर राक्षस जलंधर की पत्नी वृंदा थीं। जब सभी देवी-देवता जलंधर को मारने में असफल हुए तो वह भगवान शंकर के पास पहुंचे और उन्हें जलंधर के बारे में बताया। जलंधर अपनी पत्नी वृंदा की वजह से अधिक ताकतवर था। उसे मारने के लिए भगवान शंकर ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। इसके बाद भगवान विष्णु जलंधर का रूप धारण कर आए और वह उसकी पत्नी वृंदा के पास पहुंचे। वह भगवान को पहचान नहीं पाई। इसलिए उसने जलंधर का रूप धारण कर आने वाले भगवान विष्णु को अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिया। वृंदा का दूसरा जन्म तुलसी के रूप में हुआ था।"
पंडित माधव शास्त्री ने कहा कि देवोत्थान एकादशी को शादी के लिए बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। इस दिन भगवान की शादी हुई थी और लोग भी यही चाहते हैं कि उनकी भी इसी दिन शादी हो जाए।
देवोत्थान एकादशी को लेकर ऐसी मान्यता है कि चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु विश्राम करते हैं और देवउठनी एकादशी पर पूर्ण जागृत होते हैं। इस शुभ दिन के साथ ही शादियों की शहनाई गूंजती है और हर वर्ष इस पावन दिन पर हजारों की संख्या में शादियां होती हैं।