यूपीपीएससी के खिलाफ प्रतियोगी अभ्यर्थियों का आंदोलन लगातार दूसरे दिन भी जारी है। सोमवार रात को भी आयोग मुख्यालय के बाहर बड़ी संख्या में प्रतियोगी छात्र जुटे तो मंगलवार सुबह भी स्थिति ऐसी ही थी। महिला अभ्यर्थी भी प्रदर्शनकारियों में शामिल थीं।
प्रदर्शनकारी प्रतियोगी छात्र ने को बताया जो भी प्रतियोगी छात्र हैं, वो सामान्य और गरीब परिवार से आते हैं। उनके ऊपर सिर्फ उनकी ही नहीं बल्कि परिवार की भी जिम्मेदारी है।
तंज कसते हुए सवाल किया कि तानाशाह अधिकारी कैसे यह तय करेंगे कि छात्रों का भविष्य कैसे व्यवस्थित होगा?
एक और प्रदर्शनकारी अभ्यर्थी ने कहा, छात्र जागरूक और समझदार हैं, उनको अपने हक की लड़ाई लड़नी बखूबी आती है। रातभर से छात्र बिना कुछ खाए प्रदर्शन कर रहे हैं। हम नॉर्मलाइजेशन का पुरजोर विरोध करते हैं।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र नवीन पाल ने बताया ऐसा परिवर्तन पहले कभी नहीं किया गया, फिर क्यों कमीशन ऐसा परिवर्तन कर रहा है। इससे पहले भी विसंगतियां आई हैं, लंबे समय तक प्रक्रिया चली, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ। परीक्षा को दो चरणों में कराना और नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला तर्कसंगत नहीं है।
इससे पहले सोमवार को उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने परीक्षाओं की शुचिता और अभ्यर्थियों की सुविधा को अपनी प्राथमिकता बताया था। परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन को लेकर अभ्यर्थियों के एक वर्ग द्वारा जताए जा रहे असंतोष पर आयोग के प्रवक्ता ने कहा था कि आयोग की परीक्षाओं की शुचिता एवं छात्रों के भविष्य को संरक्षित करने के उद्देश्य से परीक्षाएं केवल उन केंद्रों पर कराई जा रही हैं, जहां किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी की कोई संभावना नहीं है।
पूर्व में दूर-दराज के परीक्षा केंद्रों में कई प्रकार की गड़बड़ियां संज्ञान में आई हैं, जिससे योग्य छात्रों का भविष्य अनिश्चित बन जाता है। इसे खत्म करने के लिए एवं संपूर्ण परीक्षा मेरिट के आधार पर संपन्न कराने के लिए इन केंद्रों को हटाया गया है।
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा प्रांतीय सिविल सेवा (पीसीएस) ‘प्री’ और समीक्षा अधिकारी (आरओ) सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) की परीक्षा दो दिन कराने के निर्णय के विरोध में छात्रों ने सोमवार को लोक सेवा आयोग के गेट पर धरना प्रदर्शन शुरू किया जो दूसरे दिन भी जारी है।