सांसद रवींद्र वायकर ने आरोप लगाया कि महिला प्रचारक जब जोगेश्वरी स्थित शिवसेना (शिंदे गुट) के कार्यालय से घर लौट रही थीं, तो शिवसेना (यूबीटी) के कथित गुंडों ने उन्हें परेशान किया। उन्होंने कहा कि इन गुंडों ने महिला प्रचारक के कपड़े फाड़े और उनके वाहनों पर लाठियों से हमला किया। उन्होंने इस हमले को "गुंडागर्दी" और "महिला शोषण" करार दिया और इस घटना के लिए सीधे तौर पर शिवसेना (यूबीटी) नेताओं को जिम्मेदार ठहराया।
रवींद्र वायकर ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ इस प्रकार की हिंसा और छेड़छाड़ बिल्कुल असहनीय है। यह घटना हमारे कार्यालय के पास हुई और अब हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस घटना के दौरान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन भी किया गया है और चुनाव आयोग जल्द से जल्द कार्रवाई करे।
उन्होंने कहा कि उनके घर तक पर पत्थर फेंके गए और उनके कार्यालय को भी नुकसान पहुंचाया गया। इसके बाद वह पुलिस से शिकायत दर्ज करने की योजना बना रहे हैं। इस घटना के बाद मीडिया में जो बयान दिए जा रहे हैं, उनमें झूठी जानकारी दी जा रही है। यह किसी भी रूप में सही नहीं है। चुनाव आयोग को तुरंत इस पर कार्रवाई करनी चाहिए और जो लोग इस हिंसा में शामिल थे, उन्हें गिरफ्तार किया जाए।"
सोशल मीडिया पर घटना से संबंधित वायरल हो रहे वीडियो का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वीडियो में साफ दिख रहा है कि शिवसेना (यूबीटी) के कार्यकर्ता महिलाओं पर हमला कर रहे हैं। यह एक डरावनी घटना है और यह दर्शाती है कि पार्टी में इस तरह की हिंसक प्रवृत्तियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस बीच, जोगेश्वरी विधानसभा क्षेत्र से शिवसेना (यूबीटी) की उम्मीदवार वर्षा सावंत की उम्मीदवारी को लेकर भी विवाद उठ गया है। शिवसेना (शिंदे गुट) के नेताओं ने उनकी उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की है और कहा है कि यदि इस प्रकार की हिंसक घटनाएं जारी रहती हैं, तो इससे पूरे चुनावी माहौल में गड़बड़ी होगी।
शिवसेना (शिंदे गुट) के नेताओं ने महिला आयोग से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है और पुलिस से यह अपेक्षा की है कि इस घटना के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। वायकर ने आरोप लगाया कि यह पूरी घटना चुनावी माहौल को खराब करने के लिए की गई है और इसके पीछे कुछ राजनीतिक ताकतें हैं, जो चुनाव के दौरान हिंसा और गड़बड़ी फैलाने की कोशिश कर रही हैं। इन नेताओं की पहचान होनी चाहिए और चुनाव आयोग को उन्हें चुनावी प्रचार से बाहर करना चाहिए।