उल्लेखनीय है कि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने जैसी घटनाओं को दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण करने के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार ठहराया जाता है। पराली को रोकने के लिए काफी प्रयासों के बावजूद इस साल भी पराले जलने जैसी घटनाएं आम हैं।
दिल्ली में चरम प्रदूषण के बीच नासा के लाइव फायर मैप में पंजाब और हरियाणा में भीषण आग दिखाई दे रही है और इन इलाकों में बहुत अधिक प्रदूषण भी हो रहा है।
हर साल की तरह, इस साल भी अक्टूबर के अंत और नवंबर के पहले सप्ताह में नासा के उपग्रहों ने सिंधु-गंगा के मैदान में आग लगने और धुएं के गुबार पता लगाया है। पराली से खासकर पंजाब जैसे घनी आबादी वाले इलाके, उत्तर भारत और यहां कि पाकिस्तान भी प्रभावित होते हैं। पंजाब के किसान अक्सर खेतों को गेहूं की फसल के लिए तैयार करने के लिए धान के अवशेषों को जला देते हैं। यह भले ही एक सस्ता तरीका है लेकिन इससे बहुत ज्यादा प्रदूषण फैलता है।
ताजा आंकड़ों की बात करें तो केंद्रीय प्रदूषण एवं नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार राजधानी दिल्ली में बुधवार सुबह 6 बजे तक औसतन वायु गुणवत्ता सूचकांक 349 अंक बना हुआ है। जबकि गाजियाबाद में 276, ग्रेटर नोएडा में 289 और नोएडा में 269 अंक बना हुआ है। दिल्ली के आया नगर में सबसे अधिक 406 एक्यूआई इस समय बना हुआ है। मौसम विभाग के मुताबिक राजधानी दिल्ली के अधिकतर इलाकों में सुबह 6 बजे तक एक्यूआई लेवल 300 से ऊपर और 400 के बीच में बना हुआ है।
दिल्ली के आया नगर में सबसे अधिक 406 एक्यूआई लेवल इस समय बना हुआ है। मौसम विभाग की मानें तो आने वाले दिनों में धुंध की चादर से एनसीआर के लोगों का सामना होगा। बुधवार को दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद में सुबह के समय स्मॉग की घनी चादर देखने को मिली है। आने वाले दिनों में कुछ समय तक धुंध छाए रहने से और सूर्य की रोशनी बंद होने से अधिकतम तापमान में गिरावट हो सकती है।