इससे निर्माण से संबंधित कामों को प्रदूषण नियंत्रण में आने तक बंद किया जा सकता है। भवन व इमारतों में तोड़फोड़, खनन से जुड़ी सभी प्रकार की गतिविधियां निलंबित कर दी जाएंगी। सरकार प्राथमिक विद्यालयों के लिए ऑनलाइन कक्षाओं जैसे निर्णय भी ले सकती है।
दिल्ली में बीते दो दिनों में प्रदूषण का स्तर वेरी पूअर से सिवियर कैटेगरी में चला गया है। इसी को देखते हुए गुरुवार को दिल्ली सरकार ने ग्रीन वॉर रूम में पर्यावरण वैज्ञानिकों के साथ बैठक की। बैठक के बाद पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने सभी सम्बंधित विभागों को ग्रेप दिशा-निर्देश का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं।
पर्यावरण मंत्री के मुताबिक दिल्ली में जो प्रदूषण है, उसमें दिल्ली का योगदान 30.34 प्रतिशत, एनसीआर के जिलों का 34.97 प्रतिशत तथा एनसीआर से सटे जिलों का 27.94 प्रतिशत है। वैज्ञानिकों ने पिछले दो दिनों की जो रिपोर्ट रखी है, उसके अनुसार पिछले दो दिनों में प्रदूषण के स्तर में बढ़ोत्तरी के मुख्य दो कारण हैं। पहला - पहाड़ों पर बर्फबारी होने के कारण दिल्ली के तापमान में गिरावट दर्ज की गई है, जिसकी वजह से पूरे उत्तर भारत में सुबह और शाम को धुंध की स्थिति बनी हुई है। दूसरा - हवा की जो गति है, उसमें कमी आई है। इन दो वजहों से प्रदूषण के स्तर में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है।
गोपाल राय ने कहा कि हवा की जो गति है, उसमें सुधार होने का अनुमान है, जिससे प्रदूषण के स्तर में कमी होने का अनुमान है। दिल्ली में ग्रेप-2 पहले से ही लागू था। इसके तहत कई ऐसी कार्रवाइयों पर प्रतिबंध था जिससे वायु प्रदूषण होता है। इस संदर्भ में सभी विभागों को फिर निर्देश दिया गया है कि जो भी निर्णय और निर्देश जारी किए गए थे, चाहे वह एंटी डस्ट के लिए हो, चाहे इंडस्ट्रीयल प्रदूषण के संबंध में, चाहे वाहन प्रदूषण के संबंध में हो, उसका सख्ती से पालन करवाया जाए।
गोपाल राय ने कहा कि सरकार की कोशिश है कि प्रतिबंधों का कड़ाई से पालन करवाकर दिल्ली के प्रदूषण को रोकने में सफल हों। दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए समर एक्शन प्लान और विंटर एक्शन प्लान बनाया है। अगर दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करना है तो केंद्र सरकार को एनसीआर व अन्य राज्यों के साथ मिलकर एक संयुक्त एक्शन प्लान बनाना होगा। उसे कड़ाई के साथ लागू करना होगा और सबको अपने हिस्से के प्रदूषण को नियंत्रित करना पड़ेगा।
गोपाल राय ने बताया कि 2022 में पंजाब में 14 अक्टूबर से 13 नवंबर के बीच पराली जलाने की 45,172 घटना हुई थी। पंजाब की सरकार ने इस पर काम करना शुरू किया तो पराली जलाने की घटनाएं कम हुई है। इसमें पिछले 3 साल में 80 प्रतिशत की कमी आई है।