सूरत जिले में फिलहाल तेंदुओं की संख्या 150 पर पहुंची है। बीते छह महीने में इंसानों पर हमले की तीन घटनाएं सामने आ चुकी हैं जिनमें तीन लोगों की मौत हुई है। हालांकि, जब भी तेंदुआ आदमखोर बनता है। तब उसे पुनर्वास केंद्र भेजा जाता है। दक्षिण गुजरात में अब तक ऐसा केंद्र नहीं था। सभी को वडोदरा भेजा जाता था। पहली बार इस आदमखोर तेंदुए को सूरत जिले में ही हिंसक जानवरों के लिए बने पुनर्वास केंद्र में लाया गया है।
सूरत जिले में 1.50 करोड़ रुपये के खर्च से यह केंद्र बनाया गया है। यहां एक साथ 10 तेंदुओं को रखने की व्यवस्था है।
डिप्टी कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट (डीसीएफ) आनंद कुमार ने कहा, “कोई भी तेंदुआ, जो किसी व्यक्ति के ऊपर हमला करता हुआ पाया जाता है, हम उसे चिह्नित कर फौरन उसे पकड़कर रिहेबिलिटेशन में डालते हैं, ताकि वह फिर कभी किसी पर हमला न कर सके।”
उन्होंने बताया, “हमने इसके लिए सूरत में तेंदुओं को रखने के लिए सेंटर की व्यवस्था भी की है, जिसमें ऐसे सभी तेंदुओं को रखा जा रहा है, जो किसी पर हमला कर रहे हैं। हम ऐसे सेंटर में 10 तेंदुओं को रख सकते हैं, जिसमें उनके रखरखाव की भी सुविधा की गई है। सेंटर में हमने जंगल जैसा वातावरण बनाया है, ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।”