उन्होंने कहा कि भाजपा के अंदर लोग भी इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं। यह नारा नहीं चलेगा। यह नकारात्मक नारा है। यह नारा कोई स्वीकार नहीं कर सकता है। इस देश की संस्कृति मिली-जुली है। यह सौहार्द का देश है। इस तरह का स्लोगन नहीं चलेगा।
उन्होंने कहा कि डिवाइड एंड रूल का नारा यहां की जनता कभी स्वीकार नहीं कर सकती क्योंकि अंग्रेज चले गए। उन्हीं के नारे से यह अपना नारा मिला रहे हैं। यह अंग्रेजों के विचारवंशी हैं। यह अंग्रेजों की तरह चल करके समाज को बांटना चाहते हैं, जिनको समाज कभी स्वीकार नहीं करेगा।
उन्होंने कहा कि करहल से ऐतिहासिक जीत होगी। भारतीय जनता पार्टी की नकारात्मक राजनीति कामयाब नहीं होगी। अगर हम प्रतिशत के हिसाब से देखें तो 100 में से 100 फीसदी यह हारने जा रहे हैं और 9 की 9 सीटें हार रहे हैं। बुलडोजर जो विकास का प्रतीक था, उसे विनाश का प्रतीक बना दिया। मैं सुप्रीम कोर्ट को बधाई देता हूं कि उसने असंवैधानिक बुलडोजर को गैराज में खड़ा कर दिया। सरकार को सोचना चाहिए कि उन्हें जुर्माना देना पड़ेगा। जुर्माने के साथ-साथ जिन अधिकारियों ने यह कार्रवाई की है, उन अधिकारियों को कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
प्रयागराज में चल रहे छात्रों के आंदोलन के बारे में अखिलेश यादव ने कहा कि नौजवानों की बात उन्हें माननी चाहिए। नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। छात्रों की मांगों को मानना चाहिए। भाजपा का मौसम खराब है। मुख्यमंत्री जी अंदर ही अंदर समाज में बारूद की सुरंग खोद रहे हैं। डिप्टी सीएम भी अंदर ही अंदर कुर्सी तक सुरंग खोद रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि नेताजी सबसे ज्यादा खुश होंगे, जब उन्हें पता लगा होगा कि लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें हम जीते।
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