दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर बेहद गंभीर स्थिति में पहुंच गया है। पिछले दो दिन से दिल्ली और एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 से ज्यादा है 'गंभीर' की श्रेणी में आता है। इसे देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने ग्रैप के तीसरे चरण को लागू करने आदेश जारी किया है। इसके अंतर्गत दिल्ली में निर्माण तथा विध्वंस के कार्य पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। बोरिंग और ड्रिलिंग कार्यों सहित खुदाई और भराई के लिए मिट्टी का काम, पाइलिंग कार्य, ट्रेंच सिस्टम द्वारा सीवर लाइन, पानी की लाइन, ड्रेनेज और इलेक्ट्रिक केबलिंग आदि बिछाने का कार्य ,ईंट चिनाई का काम, आरएमसी बैचिंग प्लांट का संचालन, प्रमुख वेल्डिंग और गैस-कटिंग कार्य भी प्रतिबंधित कर दिए गए हैं।
इसका प्रभाव रक्षा संबंधी परियोजनाओं पर नहीं पड़ेगा। ये परियोजनाएं पूर्व की भांति चालू रहेगी। इसके साथ ही रेलवे, मेट्रो रेल सेवाओं, हवाई अड्डे और अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल के लिए परियोजनाएं एवं राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं के निर्माण और अन्य कार्यों की छूट रहेगी। छूट देने के साथ ही दिल्ली सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन परियोजनाओं को इसमें छूट मिली है, वहां डस्ट नॉर्म्स का पालन करना जरूरी है, नहीं तो कार्रवाई होगी।
दिल्ली में जिन परियोजनाओं को छूट मिली है, उनमें रेलवे सेवाओं और स्टेशनों के लिए परियोजनाएं, मेट्रो रेल सेवाओं और स्टेशनों के लिए परियोजनाएं, हवाई अड्डे और अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल के लिए परियोजनाएं, राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा संबंधी गतिविधियां, राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाएं, अस्पताल, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं से संबंधित परियोजनाएं शामिल हैं।
इनके अलावा राजमार्ग, सड़कें, फ्लाईओवर, ओवर ब्रिज, पावर ट्रांसमिशन वितरण, पाइपलाइन, दूरसंचार सेवाएं, स्वच्छता परियोजनाएं जैसे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और जलापूर्ति परियोजनाएं आदि को प्रतिबंध से छूट मिली है, यानी इन परियोजनाओं पर कार्य बाधित नहीं होगा।
दिल्ली सरकार का कहना है कि वायु प्रदूषण की समस्या को देखते हुए सीएक्यूएम के आदेश पर दिल्ली में ग्रैप के तीसरे चरण की पाबंदियों को लागू करने का निर्णय लिया गया है। सभी सम्बंधित विभागों के साथ बैठक कर उनको सभी जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके और लोगों को इसके दुष्प्रभावों से यथासंभव बचाया जा सके। सरकार के मुताबिक, निर्माण तथा विध्वंस पर बैन से कुछ विभागों को छूट दी जा रही है, लेकिन उन्हें निर्माण तथा विध्वंस के लिए जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।