उन्होंने कहा कि सबसे पहले मैं पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से कहना चाहूंगा कि क्यों बेवजह हरियाणा और पंजाब के भाईचारे के बीच खलल पैदा करने की कोशिश की जा रही है। हम लोग भाई-भाई हैं। हमारी कोशिश रहनी चाहिए कि यह भाईचारा बरकरार रहे। मान साहब के लिए यह बेहतर रहेगा कि वह बेकार के मामलों में न पड़कर किसानों के हित में कदम उठाएं।
उन्होंने कहा, “पंजाब के नेताओं को यह बात समझनी होगी कि चंडीगढ़ पर हरियाणा का भी हक है। ऐसे में अगर हमारे लिए अलग से विधानसभा भवन निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो चुका है, तो इस पर आपत्ति जताने का कोई औचित्य नहीं रहता।”
उन्होंने आगे कहा, “पंजाब के नेताओं को यह पता होना चाहिए कि हम उनके छोटे भाई हैं। पहले आप लोगों ने हमें एसवाईएल नहर का पानी देने से मना कर दिया, जबकि सच्चाई यह है कि पंजाब के किसान भी चाहते हैं कि हरियाणा के किसान भाइयों को पानी मिले। यह लोग घटिया राजनीति कर रहे हैं। पहले आपने एसवाईएल को रोका और अब विधानसभा भवन के निर्माण पर आपत्ति जता रहे हैं, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है। मैं कहना चाहता हूं कि पंजाब के नेता अपने यहां के आम लोगों और किसानों के लिए काम करें और बेवजह के मुद्दों को राजनीति का विषय बनाने से बचें, क्योंकि इससे कुछ खास हासिल होने वाला नहीं है।”
उन्होंने कहा कि पंजाब के नेताओं द्वारा विधानसभा भवन के निर्माण को लेकर आपत्ति जताना किसी भी सूरत में शोभा नहीं देता है। मैं भगवंत मान से कहना चाहूंगा कि आप आकर किसानों की फसल खरीदें। लेकिन, आप किसानों की फसल नहीं खरीद रहे हैं। इसके विपरीत आप कह रहे हैं कि हम हरियाणा में विधानसभा भवन नहीं बनने देंगे। आप भवन क्यों नहीं बनने देंगे, क्या चंडीगढ़ सिर्फ आपका ही है? चंडीगढ़ पर जितना हक आपका है, उतना ही हमारा भी है।”
बता दें कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा मंजूरी मिलने के बाद चंडीगढ़ में हरियाणा के लिए अलग से विधानसभा भवन निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो चुका है। विधानसभा भवन निर्माण के लिए हरियाणा को 12 एकड़ जमीन आवंटित की जानी थी। लेकिन, इसके सेंसिटिव जोन की वजह कुछ रुकावट पैदा हो रही थी। लेकिन, अब यह रुकावटें भी खत्म हो चुकी हैं। इसके बाद से हरियाणा के लिए अलग से विधानसभा भवन के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो चुका है।