उन्होंने बताया, “जिस दिन रात में हिंसा हुई थी, दूसरे दिन सुबह मैं घटनास्थल पर पहुंच गया था। मैं उस दौरान दौसा का चुनाव देख रहा था, इसलिए रोज रात को मैं वहां पहुंच जाता था। मैंने वहां पहुंचने के बाद नुकसान का जायजा लिया। अगले दिन ही मैंने उन लोगों को गृहमंत्री से मिला दिया। रविवार को मैंने एक गांव के प्रतिनिधिमंडल को भी मुख्यमंत्री से भी मिला दिया।”
उन्होंने आगे कहा, “वहां जो हुआ वह बिल्कुल उचित नहीं था। वह चुनाव आयोग के अधिकारी थे। उनका काम था चुनाव कराना। उनका काम शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव कराना था। कानून को हाथ में लेना किसी भी तरह से उचित नहीं है।”
इसके बाद उन्होंने इस झगड़े के पीछे कांग्रेस पार्टी का हाथ बताया। कहा, “मैं समरावता (घटना स्थल) घटना के पीछे कांग्रेस का हाथ मानता हूं। कांग्रेस जातिगत झगड़ा करवाना चाहती थी। राजस्थान को अशांत करने की प्लानिंग थी। कांग्रेस पार्टी कुर्सी की इतनी भूखी है कि वह कैसे भी करके प्रदेश को अशांत करके सरकार को बेवजह परेशान करना चाहती है। इसलिए इस घटना के पीछे मैं तो पूरी तरह कांग्रेस का ही हाथ मानता हूं। कांग्रेस के कारण ही एक शांत क्षेत्र अशांत हो गया। उनियारा कभी अशांत नहीं रहा। लोगों ने कभी अफसरों का ऐसा अपमान नहीं किया। इसलिए मैं तबसे ही यह कह रहा हूं कि इस प्रकरण की न्यायिक जांच कराई जानी चाहिए। जिससे यह स्पष्ट हो जाए कि इस घटना के पीछे किसका हाथ था?”
इसके बाद उन्होंने थप्पड़ कांड के आरोपी नरेश मीणा के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि नरेश ने कांग्रेस से टिकट मांगा था। इस पर कुछ कांग्रेस के लोगों ने उन्हें निर्दलीय चुनाव लड़ने की सलाह दी। ऐसा लगता है कि प्रदेश का माहौल बिगाड़ने में कांग्रेस का हाथ है।