केंद्रीय मंत्री ने कहा, लोगों को भ्रमित करने के लिए बयान देना गलत बात है। वहां माहौल शांत रहे, शांति रहे और लोग कानून पर विश्वास करें। हमें इस दिशा में पहल करनी चाहिए। देश कानून से चलता है। कानून के राह पर चलने वाले लोगों को सुरक्षा देना राज्य सरकार की बड़ी जिम्मेदारी होती है। आगे जो भी होगा सुप्रीम कोर्ट तय करेगा। कई अहम सवाल है।
तमिलनाडु में पीएम विश्वकर्मा योजना नहीं लागू होने को लेकर केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री जयंत चौधरी ने कहा कि एक साल से ऊपर उस योजना को लागू किए हो चुका है। ढाई करोड़ देश भर में पंजीकरण हुए हैं, वहीं 10 लाख से ज्यादा लोगों को सीधा लाभ इस योजना का मिल चुका है। बड़ी तादाद में लोगों को लोन मिला है। जो लोग गांव से जुड़े हैं, उनको सुलभ और सरल लोन मिला है। इस योजना को मुख्यमंत्री स्टालिन समझ नहीं पाए। वो योजना की गाइडलाइन को दोबारा पढ़े, इसमें कहीं यहां पर कास्ट का जिक्र नहीं है। यह केंद्र सरकार की ओर से चलाई गई योजना है। राज्य सरकार पर इसका कोई बोझ नहीं है। गांव और जिले जिले स्तर पर लाभार्थियों को चिन्हित किया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि तमिलनाडु के साढ़े आठ लाख लोगों ने पंजीकृत किया है। उन्हें इसका लाभ मिलना चाहिए। जिनमें से 76% महिलाएं हैं और 50% से ज्यादा ओबीसी है। यह एक जाति के लोग नहीं है। मुख्यमंत्री स्टालिन ने संकुचित सोच के साथ इस योजना को लेकर राजनीति कर रहे है। जो मुख्यमंत्री अपने प्रदेश के हित के लिए फैसला नहीं ले सकता, साढ़े आठ लाख लाभार्थियों के बारे में नहीं सोच सकता, ये दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं राज्य सरकार से सकारात्मक पहल करने की अपील करता हूं।
दरअसल तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्रीय एमएसएमई मंत्री जीतन राम मांझी को पत्र लिखकर सूचित किया है कि स्टालिन सरकार वर्तमान स्वरूप में पीएम विश्वकर्मा योजना को अपने राज्य में लागू नहीं करा सकती।