दरअसल, पत्रकारों ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देकर मंत्री से यह सवाल किया था कि दिव्यांगजनों के फंड में कटौती की गई है। लेकिन, उन्होंने इन रिपोर्ट्स की विश्वसनीयता को सिरे से खारिज कर दिया।
उन्होंने पत्रकारों को आश्वस्त किया कि ऐसा नहीं सकता है। हमने किसी भी फंड में कोई कटौती नहीं की है। हमारी हमेशा से ही कोशिश रही है कि सभी को समान फंड मिले, ताकि कल्याण की दिशा में कदम उठाते समय किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो।
वहीं, हाल ही में भाजपा ने दावा किया था कि कर्नाटक सरकार ने सारा पैसा गारंटियों में खर्च कर दिया है, इसलिए अब कल्याणकारी योजनाओं को क्रियान्वित करने की दिशा में कोई पैसा वर्तमान में सरकार के पास नहीं है।
इस पर मंत्री ने कहा, “इस संबंध में भाजपा को किसी भी प्रकार का सवाल करने का कोई नैतिक हक नहीं है।”
उन्होंने दावा किया कि भाजपा ने हमारे 'कर्नाटक मॉडल' को कॉपी किया है।
उन्होंने कहा, “पिछले महीने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हमारी पार्टी ने महिलाओं को 2,500 रुपये देने का ऐलान किया था। वर्तमान में हम कर्नाटक में ‘गृह लक्ष्मी योजना’ के तहत 2 हजार रुपये देते हैं। भाजपा ने हमारे द्वारा कर्नाटक में लागू की गई सभी गारंटियों को कॉपी किया है।”
उन्होंने भाजपा द्वारा किए जा रहे दावों को निराधार बताते हुए कहा, “हमारे पास गारंटियों के साथ-साथ विकास कार्यों के लिए भी पर्याप्त पैसा है। हमारे पास पैसों की कोई कमी नहीं है।”
उन्होंने कहा, “अब तक कर्नाटक में ना ही विकास कार्य रुका है और ना ही आगे रूकेगा।”