ग्लोबल हिंदू टेम्पल नेटवर्क-अमेरिका, ग्लोबल हिंदू हेरिटेज फाउंडेशन और हिंदू एक्शन के सदस्यों ने यह मांग करते हुए बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगातार हो रही हिंसा और अत्याचारों पर एक रिसर्च टीम की ओर से तैयार की गई तथ्यात्मक ग्राउंड रिपोर्ट का हवाला दिया।
इस संबंध में न्याय की तत्काल गुहार लगाता हुआ एक पत्र कई संगठनों को लिखा गया है। इनमें संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन, यूएन महिला, यूनिसेफ, अमेरिकी विदेश विभाग, यूएसएआईडी, यूएससीआईआरएफ, विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, एशियाई डेवलपमेंट बैंक और बांग्लादेश से सामान खरीदने वाली एक दर्जन से अधिक निजी अंतरराष्ट्रीय फर्में शामिल हैं।
'बांग्लादेश के हिंदू, ईसाई, बौद्ध और धार्मिक अल्पसंख्यक : हत्या, धर्मांतरण, भागने को मजबूर' - शीर्षक वाली इस रिपोर्ट को पूर्व संयुक्त राष्ट्र अधिकारी मोहिंदर गुलाटी और कोलंबस स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रमेश राव और मिसिसिपी के जैक्सन स्टेट यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र के रिटायर्ड प्रोफेसर प्रकाश राव वेलागपुडी जैसे प्रसिद्ध विद्वान ने तैयार किया है।
रिपोर्ट में कहा गया, "यह रिपोर्ट न केवल इतिहास का एक रिकॉर्ड है, बल्कि न्याय की तत्काल अपील भी है। बांग्लादेश में हिंदू, जिन्होंने सदियों से इसकी संस्कृति और विरासत में योगदान दिया है, अब अपनी ही मातृभूमि में विलुप्त होने का सामना कर रहे हैं। दुनिया कब तक चुप रह सकती है? निष्क्रियता का प्रत्येक दिन इस प्राचीन समुदाय को विलुप्त होने के करीब ले जा रहा है।"
रिपोर्ट में 5 अगस्त को तत्कालीन बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना के सत्ता छोड़ने के बाद से अल्पसंख्यकों विशेषतौर पर हिंदुओं के खिलाफ हुए अत्याचारों का विस्तृत वर्णन है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि हिंसक अत्याचारों की गंभीरता ग्रामीण बांग्लादेश में अधिक है, जहां पिछले पांच दशकों में हिंदू आबादी बहुत कम अल्पसंख्यक रह गई है।
रिपोर्ट में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ चल रहे उत्पीड़न को रोकने और सुरक्ष-सम्मान का माहौल बनाने के लिए उपाय भी सुझाए गए हैं। इनमें अंतरराष्ट्रीय मान्यता और हस्तक्षेप, संयुक्त राष्ट्र संगठनों की ओर से बांग्लादेश में हिंदुओं की दुर्दशा को एक 'जारी नरसंहार' के रूप में औपचारिक रूप से मान्यता देना, बांग्लादेश में अंतरिम सरकार को अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपराधों के लिए जवाबदेह ठहराना, विस्थापित हिंदू परिवारों को पुनर्वास और वित्तीय सहायता प्रदान करना आदि शामिल हैं।
रिपोर्ट के लेखकों के मुताबिक, "इस रिपोर्ट के निष्कर्ष केवल आंकड़े नहीं हैं; ये अन्याय से प्रभावित मानवीय जीवन हैं। इन वास्तविकताओं को प्रस्तुत करके, हम तत्काल कार्रवाई को प्रेरित करने, अंतरराष्ट्रीय एकजुटता को बढ़ावा देने और आने वाली पीढ़ियों के लिए बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने की आशा करते हैं।"