संभल में मिला 46 साल पुराना मंदिर, मंत्री दयाशंकर मिश्र बोले- अभी तो यह शुरुआत है

15 Dec, 2024 2:49 PM
Dayashankar Mishra Dayalu
वाराणसी, 15 दिसंबर (आईएएनएस): । उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु ने संभल में मिले 46 साल पुराने हिंदू मंदिर को लेकर कहा कि ये पुनर्जागरण का दौर है, मंदिरों के उद्धार का समय आ चुका है।

मंत्री ने कहा, "न जाने कितने ही मंदिरों को लोगों ने अपने घरों में मिला लिया और कितने ही मंदिरों पर कब्जा कर लिया गया होगा। हम उस मंशा की खुलेतौर पर आलोचना करते है, जो किसी के धर्म का सम्मान नहीं करते हैं। यह पुनर्जागरण का दौर है। ऐसे मंदिरों के उद्धार का समय आ चुका है।”

उन्होंने ये बातें नदेसर में रविवार को जिला सहकारी फेडरेशन लिमिटेड के नव निर्मित कार्यालय के मुख्य द्वार का लोकार्पण किया।

उन्होंने कहा, “आज का दिन काशी के लिए एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण अवसर है। सहकारिता के क्षेत्र में एक नई दिशा की शुरुआत हो रही है, और यह सफलता भाई राकेश सिंह अलगुजी के नेतृत्व में संभव हो पाई है। उन्होंने जब से सहकारिता के इस नए पद की जिम्मेदारी संभाली, तब से इस क्षेत्र में बदलाव और सुधार की लहर चली है। जो परिसर कभी बदहाल था, वहां अब नए जीवन का संचार हुआ है। पहले इस परिसर में आने का मौका कभी नहीं मिला था, लेकिन अब जो भी यहां आएगा, वह चमत्कृत हुए बिना नहीं रह सकेगा। पुराने भवनों की मरम्मत करने के बाद उन्हें नया रूप दिया गया है, और साथ ही एक सुंदर बगिया और नए रास्तों का निर्माण भी किया गया है।”

उन्होंने कहा, “मंत्री जेपीएस राठौर जी के हाथों इस परिसर का उद्घाटन इस कार्य के महत्व को और भी बढ़ा देता है। राकेश सिंह अलगुजी की मेहनत और प्रतिबद्धता ने सहकारिता के क्षेत्र में एक नई शुरुआत की है। उन्होंने इसे न केवल एक नया कलेवर दिया है, बल्कि इस क्षेत्र में नई ऊर्जा, उत्साह और दिशा के साथ आगे बढ़ने का संकल्प भी लिया है। मुझे पूरा विश्वास है कि राकेश सिंह अलगुजी की नेतृत्व क्षमता से सहकारिता के क्षेत्र में एक नया आयाम स्थापित होगा।”

उन्होंने राहुल गांधी द्वारा द्रोणाचार्य के संबंध में दिए बयान पर कहा, “वह अगर अपने इतिहास और देश की सांस्कृतिक धारा को सही से समझते, तो शायद उन्हें अपने शब्दों पर पुनः विचार करना पड़ता। आज देश के सर्वोच्च सदन में, विपक्ष के नेताओं को किसी भी मुद्दे पर बात करने से पहले सौ बार सोचना चाहिए। अगर उन्होंने अपना इतिहास पढ़ा होता और हमारे सनातन धर्म के महत्व को समझा होता, तो वे किसी भी बयान से पहले अपनी सोच को और गहराई से समझते। यह समय की मांग है कि हम अपने इतिहास और संस्कृति की प्रतिष्ठा को समझें और उसे संजीदगी से सराहें।”

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