उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "आज संविधान संशोधन विधेयक पेश करने का भाजपा का बेशर्म प्रयास, जबकि संसद में संविधान पर बहस अभी भी चल रही है। यह लोकतंत्र पर एक बेशर्म हमले से कम नहीं है। वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक लोगों से मतदान करने के उनके मौलिक अधिकार को छीनने का प्रयास है। एक ऐसा अधिकार, जो सरकारों को जवाबदेह बनाता है और अनियंत्रित शक्ति को रोकता है। यह सिर्फ एक विधेयक नहीं है, बल्कि यह हमारे संस्थापकों के बलिदान से निर्मित हमारे लोकतंत्र की नींव पर सीधा हमला है। बंगाल चुप नहीं बैठेगा। हम भारत की आत्मा की रक्षा के लिए और इस अलोकतांत्रिक एजेंडे को कुचलने के लिए जी-जान से लड़ेंगे।"
सोमवार को से बात करते हुए अभिषेक बनर्जी ने कहा कि 'वन नेशन-वन इलेक्शन' बिल लोगों का अधिकार छीनने वाला है। वे संविधान बदलने की बात कर रहे हैं। वे खुद को जनता का सेवक बताते हैं, लेकिन कैसे सेवक हैं? भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार लोगों से उनकी ताकत छीनना चाहती है, लेकिन जब तक हम लोग विपक्ष में हैं, इस विधेयक को पास नहीं होने देंगे। मैं उनसे यही पूछना चाहता हूं कि जब वे छोटे राज्यों में कई चरणों में चुनाव करा रहे हैं, तो देश में एक साथ चुनाव कैसे कराएंगे। यह जनता का अधिकार छीनने वाली बात है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस महीने की शुरुआत में 'वन नेशन वन इलेक्शन' विधेयक को मंजूरी दी थी। भाजपा और उसके सहयोगी विधेयक के समर्थन में हैं।
यह बिल पूरे देश में एक साथ चुनाव का मार्ग प्रशस्त करता है। सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार अब विधेयक (बिल) पर आम सहमति बनाना चाहती है। सरकार इसे विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति या जेपीसी के पास भेज सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस साल सितंबर में चरणबद्ध तरीके से लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने के लिए 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के कार्यान्वयन को मंजूरी दी थी।