भारतीय टीम के खराब प्रदर्शन की बड़ी वजह उसका टॉप ऑर्डर बना। विराट कोहली और रोहित शर्मा के बल्ले से रन नहीं निकले। बाकी बल्लेबाजों का प्रदर्शन भी औसत रहा, जबकि कई मौकों पर भारतीय गेंदबाजों ने मोर्चा संभाला लेकिन शुरुआती मुकाबलों में उनका प्रदर्शन भी औसत ही रहा।
अब यह देखने में आ रहा है कि भारत में होम एडवांटेज का लाभ दूसरी टीमों को अधिक मिलता है। टीम इंडिया घरेलू परिस्थितियों का फायदा उठाने में एक बार फिर से नाकामयाब रही है। स्पिन की मददगार पिचों को बनवाना खुद के पैर पर ही कुल्हाड़ी मारने जैसा साबित हुआ है। ताजा सीरीज में भी अगर पिच का किसी टीम ने फायदा उठाया है, तो वह न्यूजीलैंड है। हालांकि, पिच और टॉस फैक्टर से परे न्यूजीलैंड ने दमदार प्रदर्शन किया है, इसमें भी कोई संदेह नही है।
यह हार इसलिए भी परेशान करने वाली है, क्योंकि इस सीरीज में भारत ने हर उस पैमाने पर चोट खाई है जो कभी उसकी ताकत हुआ करती थी। स्पिन फ्रेंडली पिच होने के बावजूद भारतीय स्पिनरों ने संघर्ष किया जबकि उसी पिच पर कीवी स्पिनरों ने भारतीय बल्लेबाजों को खूब नचाया। हाल यह था कि स्पिन के खिलाफ अपनी आक्रामक शैली के लिए मशहूर विराट कोहली भी सरेंडर करते नजर आए।
न्यूजीलैंड के खिलाफ ये हार दिल तोड़ने वाली तो रही ही, साथ ही बेहद शर्मनाक भी है। भारतीय शेर मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में 147 रनों के लक्ष्य का भी पीछा नहीं कर पाए और ये हाल तब है जब उन्हें आने वाले कुछ दिनों में ऑस्ट्रेलियाई टीम का सामना उनके घर पर करना है। जिस फॉर्म में इन दिनों टीम इंडिया है, उस हाल में खतरनाक ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ जीत की उम्मीद करना 'मुंगेरीलाल के सपने' देखने जैसा है'।
न्यूजीलैंड के खिलाफ हार के बाद भारतीय टीम को विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की अंक तालिका में भी तगड़ा झटका लगा। अब भारतीय टीम दूसरे स्थान पर फिसल गई है। इस हार से न सिर्फ अंक और टीम के पॉजिशन में फर्क पड़ा है, बल्कि डब्ल्यूटीसी फाइनल में पहुंचने की उम्मीदें भी अब धुंधली नजर आ रही हैं।