ऑस्ट्रेलिया ए और भारत ए के बीच हुए मुक़ाबले से पहले कभी भी मैकस्वीनी ने सलामी बल्लेबाज़ की भूमिका नहीं निभाई थी। इसके बाद भारत के ख़िलाफ़ तीन मैचों में भी वह ओपनर रहे लेकिन अब उन्हें 19 वर्षीय सैम कोंस्टास के लिए टीम से बाहर कर दिया गया है। इस बात की पूरी संभावना है कि मेलबर्न में बॉक्सिंग डे टेस्ट में कोंस्टास ही पारी का आग़ाज़ करेंगे।
मैकस्वीनी ने छह पारियों में महज़ 72 रन बनाए थे, हालांकि बल्लेबाज़ी के लिए परिस्थितियां मुश्किल थीं लेकिन चयनकर्ताओं को टॉप ऑर्डर से ज़्यादा उम्मीदें थी लिहाज़ा ख़ामियाज़ा मैकस्वीनी को भुगतना पड़ा है।
चैनल 7 के साथ बात करते हुए मैकस्वीनी ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा, "हां मैं बिल्कुल टूट सा गया हूं। पहले ऐसा लगा कि मेरा सपना सच हो गया लेकिन फिर जैसा मैं चाहता था वैसा हो नहीं सका। लेकिन क्या करिएगा ये सब खेल का एक हिस्सा ही है। मैं इसे स्वीकार करता हूं और एक बार फिर नेट्स में पसीना बहाऊंगा और उम्मीद करूंगा कि मुझे फिर अवसर मिलेगा।"
मैकस्वीनी ने भले ही रन ज़्यादा न बनाए हों लेकिन गेंद को पुराना करने और क्रीज़ पर समय बिताने के लिए उनकी तारीफ़ भी हुई थी। ख़ासतौर से एडिलेड में खेले गए पिंक बॉल टेस्ट की पहली पारी में जब रात में लाइट के अंदर वह और लाबुशेन ने एक अहम साझेदारी निभाते हुए उस सत्र को ख़त्म किया था। उस पारी को छोड़ दिया जाए तो मैकस्वीनी ने पांच पारियों में 0 से 10 रन के बीच ही स्कोर किया।
मैकस्वीनी की टेस्ट वापसी अब लगता है कि मिडिल ऑर्डर में ही संभव हो पाएगी, हालांकि इसके लिए उन्हें इंतज़ार करना पड़ेगा। जब एक बार कैमरन ग्रीन भी चोट से उबर कर वापसी करेंगे तो फिर मिडिल ऑर्डर में प्रतिस्पर्धा और भी ज़्यादा कड़ी हो जाएगी।
मुख्य चयनकर्ता जॉर्ज बेली भी मानते हैं कि मैकस्वीनी के साथ जो हुआ वह काफ़ी मुश्किल था।
बेली ने कहा, "ये मैकस्वीनी के लिए आसान नहीं था, ख़ास तौर से तब जब सिर्फ़ तीन टेस्ट का सैंपल साइज़ काफ़ी छोटा था। ये कभी भी एक अच्छा फ़ोन कॉल नहीं हो सकता है, है ना? नैथन काफ़ी दुखी थे लेकिन उनके लिए संदेश वही है जो सीरीज़ के पहले था, कि हमें उनकी क़ाबिलियत पर भरोसा है और वह टेस्ट स्तर पर भी क़ामयाब होंगे।"
अब देखना है कि क्या रविवार को गाबा पर बीबीएल के मुकाबले में मैकस्वीनी अपनी टीम ब्रिसबेन हिट के लिए उपलब्ध हो पाते हैं या नहीं।