सूत्रों के मुताबिक, उपभोक्ता मामलों के विभाग की सचिव निधि खरे ने भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के महानिदेशक (डीजी) से मामले की जांच करने को कहा है। बीआईएस प्रमुख को 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।
पिछले महीने ओला इलेक्ट्रिक ने दावा किया था कि राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) पर 10,644 शिकायतों में से 99.1 प्रतिशत का समाधान कर लिया गया है। उपभोक्ता अधिकारों के कथित उल्लंघन को लेकर सीसीपीए ने कंपनी को कारण बताओ नोटिस भेजा था।
हालांकि, ओला इलेक्ट्रिक ने दावा किया है कि उसने बिक्री के बाद खराब सेवा के बारे में 10,644 शिकायतों में से 99.1 प्रतिशत का समाधान कर दिया है, लेकिन उपभोक्ता मामलों के विभाग ने ईवी फर्म द्वारा दायर जवाबों की गंभीरता से जांच की और प्रत्येक उपभोक्ता शिकायत का कंपनी के दावों के साथ मिलान किया।
कुल 10,644 शिकायतों में से 3,364 धीमी सेवा और मरम्मत से संबंधित थीं और 1,899 ओला के इलेक्ट्रिक स्कूटरों की देरी से डिलीवरी से संबंधित थीं।
अगर ओला इलेक्ट्रिक के दावे नियामक को संतुष्ट करने में विफल रहते हैं, तो उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है और कथित तौर पर पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग के लिए मिल रही सब्सिडी से भी वंचित रहना पड़ सकता है।
ओला इलेक्ट्रिक का शेयर गुरुवार को 70.12 रुपये पर बंद हुआ, जो इसके ऑल-टाइम हाई 157.40 रुपये से 56 प्रतिशत कम है। कंपनी ने जुलाई-सितंबर अवधि (वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही) में 43 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 495 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया, जबकि इसी वित्त वर्ष की पिछली तिमाही में यह 347 करोड़ रुपये था।