उनकी अंतिम यात्रा गुरुवार को उनके राजेंद्र नगर आवास से निकली। उनके परिवार के सदस्यों और प्रशंसकों ने उन्हें कंधा दिया। अंतिम यात्रा में भाजपा नेता रामकृपाल यादव सहित भाजपा, जदयू, राजद के कई नेता समेत हजारों लोग शामिल हुए। गुलबी घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। पुत्र अंशुमान सिन्हा ने उनके पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी। इसके साथ ही वह पंचतत्व में विलीन हो गईं। अंतिम विदाई के दौरान पूरा क्षेत्र 'शारदा सिन्हा अमर रहें', 'जब तक सूरज चांद रहेगा, शारदा तेरा नाम रहेगा' और 'छठी मइया की जय' के नारे से गूंज उठा।
बताया गया कि शारदा सिन्हा की इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार उनके पति के अंतिम संस्कार वाले स्थान पर ही किया जाए। उनका पार्थिव शरीर बुधवार को दिल्ली से पटना लाया गया था। इसके बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत कई दिग्गज नेताओं ने उनके आवास पर पहुंच कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
शारदा सिन्हा लंबे समय से बीमारी से जूझ रही थीं। दिल्ली एम्स में उनका इलाज चल रहा था, जहां छठ के पहले दिन मंगलवार को उनका निधन हो गया। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने शोक व्यक्त किया।
उल्लेखनीय है कि शारदा सिन्हा छठ गीत गाकर मशहूर हुई थीं। जब उनका अंतिम संस्कार किया जा रहा था, तब भी उनके गाए छठ गीत गूंज रहे थे।