मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि विदेशों में सफल मॉडलों से प्रेरित होकर, भीड़भाड़ शुल्क पर एक व्यापक अध्ययन में शुल्क लगाने के लिए इलाकों के चुनाव, शुल्क दर, भुगतान विधियों और संभावित आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावों सहित विभिन्न कारकों की जांच की जाएगी।
मंत्रालय के प्रवक्ता क्रिचनोंत इयापुण्या ने कहा कि भीड़भाड़ शुल्क से प्राप्त राजस्व का उपयोग सभी मेट्रो लाइनों के लिए फ्लैट-रेट किराए में सब्सिडी देने, नागरिकों के लिए जीवन-यापन की लागत को कम करने, वायु प्रदूषण, विशेष रूप से पीएम 2.5 सूक्ष्म कणों से निपटने के लिए किया जाएगा।
अध्ययन के अनुसार, लंदन, सिंगापुर, स्टॉकहोम और मिलान जैसे शहरों ने भीड़भाड़ शुल्क लगाने की योजना को सफलतापूर्वक लागू किया है, जिसके परिणामस्वरूप ट्रैफिक में उल्लेखनीय कमी आई है और सार्वजनिक परिवहन सवारियों की संख्या में वृद्धि हुई है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआती सार्वजनिक प्रतिरोध के बावजूद, इन शहरों में समय के साथ नीति की बढ़ती स्वीकृति देखी गई।
ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि 2025 के अंत तक भीड़भाड़ शुल्क को लेकर मंत्रालय अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप दे देगा।
बैंकॉक में तेज विकास, कम अर्बन प्लानिंग अपर्याप्त बुनियादी ढांचे ने कई समस्याओं को जन्म दिया है। व्यापक एक्सप्रेसवे नेटवर्क के बावजूद, अपर्याप्त सड़क नेटवर्क और निजी वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण यातायात की भीड़भाड़ लगातार बनी हुई है। 1990 के दशक से दशक से ही गंभीर वायु प्रदूषण शहर के लिए समस्या बना हुआ है।