उन्होंने कहा, “अखाड़ा परिषद का फैसला हिंदुस्तान के करोड़ों लोगों को गहरी चिंता में डालने वाला है। यह एक ऐसा कदम है, जो न केवल धार्मिक सहिष्णुता को कमजोर करता है, बल्कि समाज में विभाजन का कारण भी बन सकता है। किसी भी मुसलमान को कुंभ मेले में भाग लेने या व्यापार करने की अनुमति न देना, सामाजिक एकता के लिए एक गंभीर खतरा है। कुंभ के मेले में किसी भी मुसलमान को दुकान लगाने की इजाजत नहीं दी गई है।”
उन्होंने कहा, “यह फैसला उन मूल्यों के खिलाफ है, जो हमारे देश की नींव हैं, जैसे कि धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक सद्भाव। जब हम एक समाज के रूप में एक-दूसरे के साथ मिलकर रहना चाहते हैं, तब इस तरह के फैसले निश्चित रूप से समाज को तोड़ने की दिशा में कदम बढ़ाते हैं। यदि समाज में विभाजन पैदा हुआ, तो इसका प्रभाव देश की एकता और विकास पर भी पड़ेगा।”
उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश की सरकार को चाहिए कि वह अखाड़ा परिषद के इस प्रकार के निर्णयों पर नियंत्रण रखे और समाज में सद्भाव बनाए रखने के लिए ऐसे फैसलों को वापस ले। समाज का हर वर्ग, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति से हो, एक साथ मिलकर रहने का हकदार है। अगर हम सब मिलकर काम नहीं करेंगे, तो हम अपने देश को गंभीर संकट में डाल सकते हैं।”
बता दें कि महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी प्रयागराज में शुरू होगा, जो कि 26 फरवरी तक चलेगा। इसमें देश भर से लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेंगे। महाकुंभ का आयोजन 12 साल के अंतराल में किया जाता है। महाकुंभ के आयोजन को लेकर अभी से ही तैयारियों का सिलसिला शुरू हो चुका है।