मंगलवार को नहाए-खाए के साथ ही चार दिवसीय छठ पूजा का आगाज पूरे देश में हो गया है। बुधवार को खरना था। इस दिन सभी छठ व्रतियों ने नदी-तालाब-पोखर में स्नान कर भगवान भास्कर को याद करते हुए छठ घाट बांधे और खरना के प्रसाद बनाने के लिए पानी लिया। इसी पानी में उन्होंने खरना का प्रसाद बनाया।
शाम को घर पर व्रतियों ने पूरी शुद्धता के साथ प्रसाद बनाया और भगवान को अर्पित किया। इसके बाद स्वयं प्रसाद ग्रहण किया और परिजनों-पड़ोसियों में बांटा। इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया है।
छठ व्रती उर्मिला कुमारी ने कहा, “आज छठ पूजा का दूसरा दिन है, जिसे "खरना" कहते हैं। यह दिन विशेष रूप से उपासकों के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन से वे 36 घंटे के कठिन उपवास की शुरुआत करते हैं। इस दिन की शुरुआत नदी या जलाशय में स्नान करके होती है। लोग नदी में जाकर शुद्ध होकर वहां से जल लेकर आते हैं, जिसे बाद में प्रसाद तैयार करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह जल पूजा के दौरान एक महत्वपूर्ण तत्व होता है और इसे घर में लेकर आकर सूर्य देव की उपासना के लिए उपयोग किया जाता है।”