संदीप दीक्षित ने कहा, “छठ पूजा का पर्व शुरू हो चुका है। लेकिन, इस बीच यमुना नदी का प्रदूषण जस का तस बना हुआ है। यमुना का जो हाल आजकल है, वह अभूतपूर्व है। इसमें दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार दोनों की जिम्मेदारी है, क्योंकि यमुना केवल दिल्ली में ही प्रदूषित नहीं हो रही, बल्कि प्रदूषण नियंत्रण में दोनों का हस्तक्षेप जरूरी है।”
उन्होंने आगे कहा, “इस समस्या का सबसे बड़ा जिम्मेदार मैं दिल्ली की सरकार को मानता हूं। इसकी वजह यह है कि केजरीवाल जी ने जनता से कई बार यह वादा किया था कि वह यमुना को साफ करेंगे और उसमें डुबकी लगाने तक का दावा किया था। यह वादा हर साल किया गया, और परिणाम वही का वही रहा।"
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने यमुना की सफाई के लिए तीन हजार करोड़ से ज्यादा खर्च किए। लेकिन, एक प्रतिशत भी सुधार नहीं हुआ। असल में समस्या की जड़ यमुना में गिरने वाले गंदे नालों में है। दिल्ली के कुछ प्रमुख नालों से जो गंदा पानी यमुना में गिरता है, उसे रोकने के लिए कई साल पहले एक बड़ी परियोजना बनाई गई थी। कांग्रेस के शासनकाल में यह तय हुआ था कि छह-सात बड़े सीवेज इंटरसेप्टर लगाए जाएंगे, ताकि नालों का गंदा पानी यमुना में न गिर सके। लेकिन इनमें से अधिकांश परियोजनाएं पूरी नहीं हो पाईं, और आज स्थिति यह है कि यमुना के पानी में प्रदूषण और अधिक बढ़ गया है।
संदीप दीक्षित ने कहा, “यह गंदगी इसलिए फैल रही है, क्योंकि दिल्ली के सीवेज सिस्टम में पूरी तरह से अव्यवस्था है। जो मुफ्त की राजनीति के चलते सीवेज की समस्या को हल करने के लिए आवश्यक उपाय नहीं किए गए, उसका असर यमुना पर साफ दिख रहा है। आज दिल्ली का अधिकतर पानी, चाहे वह सीवेज का हो या भूमिगत जल का, पूरी तरह से प्रदूषित हो चुका है और वह अंततः यमुना में ही गिरता है।”
उन्होंने कहा, “इसके अलावा यमुना के प्रदूषण का एक और बड़ा कारण यह है कि दिल्ली में अब भी कई ऐसी अवैध फैक्ट्रियां हैं जो प्रदूषण फैला रही हैं। शीला दीक्षित के शासनकाल में इन फैक्ट्रियों को हटाने की मुहिम चली थी, और कई फैक्ट्रियां बंद भी की गई थीं, लेकिन आज भी कई अवैध फैक्ट्रियां दिल्ली में चल रही हैं, जिनमें राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत है। यह फैक्ट्रियां दिल्ली के प्रदूषण को और बढ़ा रही हैं, और इनका सीधा असर यमुना के पानी पर पड़ रहा है।”
उन्होंने कहा, “यमुना में इस समय जो गंदगी और प्रदूषण है, उसके लिए पूरी तरह से दिल्ली की सरकार जिम्मेदार है, क्योंकि उन्होंने इस समस्या को हल करने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए।”
अरविंद केजरीवाल के वीआईपी डिनर किए जाने को लेकर आए वीडियो पर कांग्रेस नेता ने कहा, “अब एक और वीडियो सामने आया है, जिसमें अरविंद केजरीवाल वीवीआईपी डिनर करते हुए नजर आए। वह खुद को 'आम आदमी' कहते आए हैं। लेकिन, इस वीडियो से यह सवाल उठता है कि क्या सच में वह वही 'आम आदमी' हैं या फिर यह सिर्फ एक दिखावा था? यह एक महत्वपूर्ण सवाल बनता है क्योंकि उन्होंने खुद को सादगी का प्रतीक बताया था और इसी छवि के सहारे उन्होंने राजनीति की। अगर वही व्यक्ति अब इस प्रकार की विलासिता में लिप्त पाया जाता है, तो यह उनका दोहरा मापदंड साफ दिखाता है।”
कनाडा की घटना पर संदीप दीक्षित ने कहा, “एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने खुलासा किया है कि जब से जस्टिन ट्रूडो प्रधानमंत्री बने हैं, तब से खालिस्तानियों का प्रभाव बढ़ा है। अगर इस खुलासे में कोई सच्चाई है, तो यह भारत के लिए गंभीर मामला हो सकता है। कनाडा में खालिस्तान आंदोलन और आतंकवाद के साथ जुड़ी गतिविधियां पुरानी हैं। अब यह सवाल खड़ा होता है कि क्या कनाडाई सरकार ने इन गतिविधियों को बढ़ावा दिया है या फिर इनसे आंखें मूंद ली हैं। अगर यह सच है, तो भारत सरकार को इसे गंभीरता से लेकर कड़े कदम उठाने चाहिए।”
संदीप दीक्षित ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए महा विकास अघाड़ी का घोषणापत्र सामने आया है, जिसमें महिलाओं को नकद राशि देने और कई अन्य सुविधाएं प्रदान करने की बात की गई है। यह एक चुनावी वादा हो सकता है, लेकिन जो योजनाएं घोषणापत्र में हैं, वे जनकल्याणकारी प्रतीत होती हैं। हालांकि, यह केवल एक घोषणापत्र है और यह देखना होगा कि आने वाले वर्षों में इसे कैसे लागू किया जाता है। इन योजनाओं को लागू करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और ईमानदारी की आवश्यकता होगी।”