बलिया के भरखरा गांव के रहने वाले किसान अशोक मिश्र ने खाद की कमी को लेकर चिंता जाहिर की। किसान अशोक मिश्र ने कहा, "किसी तरह से बीज तो मिल गया है, लेकिन खाद बिल्कुल भी नहीं मिल पा रही है। पूरे जिले में खाद कहीं भी नहीं मिल रही है। किसान पहले से ही बुआई के लिए परेशान हैं और प्राइवेट दुकानदार पैसों में मनमानी कर रहे हैं। खाद नहीं होने की वजह से खेतों में बुआई का काम ठप्प पड़ गया है।"
वहीं, किसान अनूप का कहना है कि रबी का सीजन शुरू हो गया है, लेकिन ना तो खाद मिल पा रहा है और ना ही बुआई हो पा रही है। खेतों में पानी छोड़ दिया गया है, मगर परिस्थिति ऐसी है कि खेत में दोबारा पटवन करनी पड़ेगी। अगर किसानों को खाद या बीज नहीं मिलेगा तो बुआई करना भी संभव नहीं है। यही हाल रहा तो खेत में फिर से पानी छोड़ना पड़ेगा।
देश में डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) खाद की कमी है। किसानों को खाद को हासिल करने के लिए लाइनों में खड़ा होना पड़ रहा है। यही नहीं, किसानों को सरकारी रेट में मिलने वाले डीएपी खाद को ब्लैक में खरीदना पड़ रहा है।
हाल ही में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने एक बयान में स्पष्ट किया था कि जनवरी से चल रहे लाल सागर संकट के कारण डीएपी का आयात प्रभावित हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप उर्वरक जहाजों को केप ऑफ गुड होप के माध्यम से 6,500 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है।